मुंबई, 21 अप्रैल महाराष्ट्र सरकार मराठा आरक्षण मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में एक उपचारात्मक याचिका दायर करेगी और समुदाय के पिछड़ेपन को स्थापित करने के लिए नए सिरे से सर्वेक्षण करने के वास्ते एक नया आयोग गठित करेगी।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक बयान में यह जानकारी दी गई।
बैठक में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी भाग लिया। यह बैठक शीर्ष अदालत द्वारा राज्य सरकार की पुनर्विचार याचिका को खारिज करने की पृष्ठभूमि में आयोजित की गई थी।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा कि झटके के बावजूद, मराठा आरक्षण मामले का रास्ता पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है।
शिंदे ने अधिकारियों से कहा कि उपचारात्मक याचिका दायर करने की प्रक्रिया तुरंत शुरू होनी चाहिए, और “वैज्ञानिक तरीके” से किए जाने वाले नए “व्यापक सर्वेक्षण” में कुशल, गैर-पक्षपाती संगठनों को शामिल किया जाना चाहिए, जिन्हें मानव संसाधन के साथ-साथ सभी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने पांच मई 2021 को महाराष्ट्र में कॉलेज में प्रवेश और नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि समग्र आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा के उल्लंघन को सही ठहराने के लिए कोई असाधारण परिस्थिति नहीं है।
प्रदेश सरकार ने इसके बाद पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसे बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया गया था।
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