मुंबई, 25 जून शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने शनिवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार ने पार्टी के 38 बागी विधायकों के आवास और उनके परिवारों की सुरक्षा वापस ले ली है। साथ ही, शिंदे ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” की भावना से की गई कार्रवाई बताया। हालांकि, गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने इन आरोपों से इनकार किया है।
शिंदे ने दावा किया कि जिन नेताओं के आवास की सुरक्षा वापस ली गई है उनमें उनका आवास भी शामिल है।
इस समय बागी विधायकों के साथ गुवाहाटी में डेरा डाले हुए शिंदे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल को संबोधित एक पत्र ट्वीट किया। पत्र पर शिंदे और अन्य विधायकों के हस्ताक्षर हैं।
पत्र में विधायकों ने कहा है कि अगर उनके परिवार के लोगों को कुछ हुआ तो मुख्यमंत्री ठाकरे और सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन के नेता उसके लिये जिम्मेदार होंगे।
शिंदे ने ट्वीट में कहा कि “राजनीतिक प्रतिशोध” की भावना के चलते ठाकरे और वलसे पाटिल के आदेश पर विधायकों के आवास की सुरक्षा वापस ले ली गई है।
उन्होंने कहा, “इन विधायकों और उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के लिए सरकार जिम्मेदार है।”
वहीं, पाटिल ने कहा कि मुख्यमंत्री और गृह विभाग ने राज्य के किसी विधायक की सुरक्षा वापस लेने का कोई आदेश जारी नहीं किया है। उन्होंने कहा, “ट्विटर के जरिये लगाए गए आरोप गलत और विद्वेषपूर्ण हैं।”
शिंदे ने आरोप लगाया है कि पिछले ढाई साल के दौरान एमवीए के सहयोगी दलों (राकांपा और कांग्रेस) ने शिवसेना को कमजोर करने का प्रयास किया। विधायकों ने पत्र में कहा कि उनके परिवार के सदस्यों और उनके आवास को प्रोटोकॉल के तहत मिली सुरक्षा अवैध रूप से और प्रतिशोध की भावना से हटाई गई है।
विधायकों ने कहा, “इस कदम का उद्देश्य हमारे संकल्प को तोड़ना और राकांपा तथा कांग्रेस के गुंडों वाली एमवीए सरकार के समक्ष हमें झुकने के लिए मजबूर करना है। एमवीए सरकार के कई नेता अपने कार्यकर्ताओं को हिंसा के लिए उकसा रहे हैं ताकि हमें धमकाया जा सके।”
पत्र में कहा गया है, “(शिवसेना नेता) संजय राउत ने हमें धमकी दी है कि वह राज्य में लौटने वाले विधायकों के लिए मुश्किलें खड़ी कर देंगे। इन बयानों का असर यह हुआ कि सुरक्षा वापस लिए जाने के कुछ घंटों बाद ही हमारे दो सदस्यों के कार्यालयों पर शिवसेना कार्यकर्ताओं द्वारा हमला किया गया।”
विधायकों ने कहा कि पंजाब में भी वहां की सरकार ने कुछ हाई-प्रोफाइल लोगों की सुरक्षा वापस ली थी जिसकी वजह से उनमें से ज्यादातर व्यक्ति गैंगस्टर के निशाने पर आ गए।
पत्र में कहा गया, “यदि हमारे परिवार के सदस्यों को नुकसान पहुंचा तो मुख्यमंत्री, महा विकास आघाड़ी के नेता, जैसे कि शरद पवार, संजय राउत और आदित्य ठाकरे इसके लिए जिम्मेदार होंगे।”
पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले विधायकों में एकनाटन शिंदे, गुलाबराव पाटिल, सदा सरवनकर, दादा भूसे, शंभूराज देसाई, दीपक केसरकर, भरत गोगावले, प्रताप सरनाईक, योगेश कदम, श्रीनिवास वंगा, लता सोनवणे, संजय शिरसत, तानाजी सावंत और दिलीप लांडे शामिल हैं।
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