भोपाल, आठ जनवरी भारत के ‘‘बाघों के प्रदेश’’ का दर्जा बनाए रखने की चुनौती का सामना कर रहे मध्य प्रदेश में 2022 की गणना के अनुसार 34 बाघों की मौत हुई है। देश में बाघों की आबादी के मामले में कर्नाटक दूसरे स्थान पर है और गणना के अनुसार यहां 15 बाघों की मौत हुई है। आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।
देश की बाघ गणना के लिए सर्वेक्षण वर्ष में बाघों की मौत की सूचना दी गई है जिसके परिणाम 2023 में घोषित किए जाएंगे।
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह एक ‘‘रहस्य’’ है कि क्यों मध्य प्रदेश में बाघों की मौत कर्नाटक की तुलना में अधिक दर्ज की गई है, हालांकि दोनों राज्यों में 2018 की गणना के अनुसार बाघों की संख्या लगभग समान थी।
वर्ष 2018 की गणना के अनुसार कर्नाटक में 524 बाघ थे, जिसकी भारत के ‘बाघ प्रदेश’ के दर्जे के लिए मध्य प्रदेश (526) के साथ प्रतिस्पर्धा है।
अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय बाघ गणना हर चार साल में एक बार की जाती है।
उन्होंने कहा कि हाल में अखिल भारतीय बाघ आकलन (एआईटीई) 2022 में किया गया था और इसकी रिपोर्ट इस साल जारी होने वाली है।
देश चार साल की गणना के निष्कर्षों का उत्सुकता से इंतजार कर रहा है, यह जानने के लिए कि बाघों की आबादी के मामले में कौन सा राज्य कहां खड़ा है और इस बात का आंकड़ा अब उपलब्ध है कि भारत ने कितने बाघों को खो दिया है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की वेबसाइट पर अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश ने 2022 में 34 बाघों को गंवा दिया, जबकि ‘‘बाघ प्रदेश’’ की स्थिति के लिए इसके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कर्नाटक राज्य में 15 बाघों की मौत हुई। इन मौतों के कारणों का उल्लेख नहीं किया गया था।
बाघ संरक्षण को मजबूत करने के लिए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत गठित एनटीसीए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है। एनटीसीए की वेबसाइट के अनुसार, पिछले वर्ष भारत में कुल 117 बाघों की मौत हुई थी।
इन दो राज्यों में बाघों की मौत के आंकड़ों में अत्यधिक अंतर के बारे में पूछे जाने पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जे. एस. चौहान ने ‘पीटीआई-’ को बताया, ‘‘हमारे यहां (मध्य प्रदेश में) बाघों की संख्या अधिक है। यह हमारे लिए एक रहस्य है कि वहां (कर्नाटक) बाघों की कम मौत की सूचना क्यों दी गई जबकि दोनों राज्यों में बाघों की संख्या लगभग समान है।’’
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