देश की खबरें | दिल्ली के उपराज्यपाल ने ‘रेड लाइट ऑन, गाडी ऑफ’ अभियान पर पुनर्विचार करने को कहा, फाइल लौटाई

नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ अभियान पर पुनर्विचार करने को कहा है। उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के मद्देनजर इस तरह के अस्थायी उपायों पर भी सवाल उठाया है। सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) नीत सरकार ने पूर्व में उपराज्यपाल पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया था कि प्रस्ताव को मंजूरी देने में देरी से वह 28 अक्टूबर को अभियान की शुरुआत को स्थगित करने के लिए मजबूर हुई है। हालांकि, उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने दावा किया कि दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने झूठ बोला था क्योंकि मुख्यमंत्री द्वारा भेजी गई फाइल में अभियान शुरू करने की तारीख 31 अक्टूबर बताई गई थी।

महीने भर के ‘रेड लाइट ऑन, गाडी ऑफ’ अभियान का उद्देश्य ड्राइवरों को ट्रैफिक सिग्नल पर इंतजार करते हुए अपने वाहनों के इंजन को बंद करने के लिए प्रोत्साहित करना है। एक सूत्र ने कहा, ‘‘उपराज्यपाल ने प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने की सलाह के साथ फाइल मुख्यमंत्री केजरीवाल को भेज दी है।’’

एक सूत्र ने कहा कि उपराज्यपाल ने अत्यधिक प्रदूषण वाले यातायात चौराहों और अन्य स्थानों पर नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों (सीडीवी) की तैनाती को ‘‘अमानवीय’’ और ‘‘शोषण’’ वाला कदम बताते हुए आपत्ति जताई है। उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि अभियान का मूल आधार जो कई लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करने के विचार पर कुछ लोगों के स्वास्थ्य को जोखिम में डालना चाहता है, दोषपूर्ण है और किसी अन्य सभ्य महानगर में इसका कोई उदाहरण नहीं दिखता है।

सूत्र ने कहा, ‘‘इसके अलावा, लंबे समय से मौजूद इस समस्या के किसी भी प्रभावी और टिकाऊ समाधान में साल दर साल तकनीकी हस्तक्षेप की जरूरत होगी, न कि अस्थायी उपाय काम आएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को तैनात करने और उन्हें जोखिम में डालने के बजाए लंबे समय के लिए तकनीकी समाधान खोजने की जरूरत है।

उपराज्यपाल ने यह भी रेखांकित किया है कि पिछले अभियानों के ‘‘परिणाम’’ प्रस्ताव में परिलक्षित नहीं होते हैं और शहर में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए पहले के अभियानों के असर का समर्थन करने के लिए कोई प्रभाव मूल्यांकन रिपोर्ट प्रदान नहीं की गई है।

एक सूत्र ने कहा, ‘‘इसके अलावा, अभियान के तहत यातायात चौराहे पर तैनात किए जाने वाले स्वयंसेवकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए कई जोखिम गंभीरता से ध्यान देने योग्य हैं।’’

उपराज्यपाल ने यह भी कहा कि यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री के स्तर पर 12 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक 10 दिन से अधिक समय से लंबित था और फाइल 21 अक्टूबर को उनके कार्यालय में प्राप्त हुई थी।

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