ताजा खबरें | मणिपुर के मुद्दे पर लोकसभा में गतिरोध कायम, हंगामे के बीच दो विधेयक पारित

नयी दिल्ली, 27 जुलाई लोकसभा में बृहस्पतिवार को भी पिछले कुछ दिन की तरह मणिपुर मुद्दे को लेकर गतिरोध बरकरार रहा और सदन की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच ही सरकार ने कारोबार सुगमता को बढ़ाने के उद्देश्य वाले विधेयक समेत दो विधेयक पारित कराए।

कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित रही है।

निचले सदन की कार्यवाही जब दो बार के स्थगन के बाद अपराह्न तीन बजे आरंभ हुई तो विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते रहे। इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आसन से आग्रह किया कि विपक्ष के कुछ सदस्यों ने कागज फाड़कर आसन की ओर फेंके हैं और जिन्होंने ऐसा किया है उनके नाम का उल्लेख करना चाहिए।

पीठासीन सभापति किरीट सोलंकी ने कहा कि कागज फाड़कर फेंकना उचित व्यवहार नहीं है और संसद का अपमान भी है।

उनका कहना था, ‘‘इस तरह का व्यवहार नहीं होना चाहिए।’’

सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की मांग उठाने की कोशिश की तो सोलंकी ने नियम 198 के तहत प्रावधान को पढ़ा। उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव को सदन की अनुमति मिलने के बाद लोकसभा अध्यक्ष तीन दिन से दस दिन के अंदर इसे सदन में चर्चा के लिए लेने की तारीख का निर्णय कर सकते हैं।

लोकसभा में विपक्ष की नारेबाजी के बीच ही ‘जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2023’ को ध्वनि मत से मंजूरी दी गई जिसमें कारोबार सुगमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 42 अधिनियमों के 183 प्रावधानों में संशोधन कर छोटी-मोटी गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रस्ताव किया गया है।

सदन ने ‘निरसन एवं संशोधन विधेयक 2022’ को भी हंगामे के बीच मंजूरी प्रदान की जिसके माध्यम से वर्षों पुराने एवं अप्रचलित कानूनों को निरस्त करने का प्रावधान किया गया है जिनमें एक कानून 138 वर्ष पुराना है।

इन दोनों विधेयकों को पारित करने के बाद हंगामे को देखते हुए सोलंकी ने सदन की कार्यवाही अपराह्न तीन बजकर करीब 50 मिनट पर बृहस्पतिवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

सदन की कार्यवाही बृहस्पतिवार सुबह शुरू होने के कुछ ही मिनट बाद दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई। निचले सदन में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और अन्य कुछ विपक्षी दलों के सदस्य मणिपुर के हालात पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सदन में बयान देने और फिर इस विषय पर चर्चा कराने की अपनी मांग पर अड़े रहे ।

कार्यवाही शुरू होते ही लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने प्रश्नकाल शुरू कराया और सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारतीय जनता पार्टी के सदस्य निशिकांत दुबे के पूरक प्रश्नों के उत्तर दिये।

इस दौरान विपक्ष के सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी कर रहे थे और तख्तियां लहरा रहे थे।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों से नारेबाजी बंद कर सदन चलने देने की अपील की। हंगामे के बीच उन्होंने कहा कि इस तरह से सदन नहीं चल पाएगा।

उन्होंने विपक्षी सदस्यों से कहा, ‘‘इस सदन की श्रेष्ठ और उच्च परंपराएं तथा मर्यादाएं रही हैं। लेकिन आप जिस तरह का व्यवहार और आचरण कर रहे हैं, वह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है और आपको शोभा नहीं देता।’’

अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मैं आपसे फिर से अनुरोध करता हूं कि सदन की मर्यादा और गरिमा को बनाकर रखें। हमें लोगों की भावनाओं और अभिव्यक्ति को सदन में रखना है।’’

उन्होंने सदन में तख्तियां दिखाने पर नाराजगी जताते हुए कहा, ‘‘आप संबंधित मंत्रियों के सामने तख्ती दिखाते हैं। यह तरीका उचित नहीं है और संसदीय परंपराओं के अनुरूप नहीं है। पूरा देश यह देख रहा है।

इसके बाद उन्होंने कार्यवाही शुरू होने के करीब पांच से छह मिनट बाद ही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

लोकसभा की कार्यवाही अपराह्न दो बजे फिर से आरंभ होने पर केंद्रीय कोयला और खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच ही ‘अपतट क्षेत्र खनिज (विकास और विनियम) संशोधन विधेयक, 2023’ पेश किया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में ‘‘भारत की विदेश नीति में नवीनतम विकास’’ के संबंध में स्वत: संज्ञान लेते हुए वक्तव्य दिया। उनके वक्तव्य के समय मणिपुर के मुद्दे पर विपक्षी दलों के सदस्य नारेबाजी कर रहे थे। इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने ‘प्रधानमंत्री सदन में आओ’ और ‘इंडिया-इंडिया’ के नारे लगाए।

इसके जवाब में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने ‘मोदी-मोदी’ के नारे भी लगाए।

जयशंकर के वक्तव्य के दौरान कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के शोर-शराबे को लेकर बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के बीच नोकझोंक हो गई।

जब विदेश मंत्री ने अपना वक्तव्य पूरा कर लिया तब पीठासीन सभापति किरीट सोलंकी ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को उनके द्वारा उठाये गए ‘व्यवस्था के प्रश्न’ पर बात रखने को कहा।

इस पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘‘जब हमारे विदेश मंत्री इतने महत्वपूर्ण विषय पर बोल रहे थे, तब इन्होंने (विपक्षी सदस्यों ने) इस प्रकार से व्यवधान डाला। अब हम भी अधीर रंजन को बोलने नहीं देंगे।’’

इसका कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के सदस्यों ने जबर्दस्त विरोध किया।

इसके बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सदन में ‘जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2023’ पेश किया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए कहा कि इनके मन में जो है, वह दिख भी रहा है।

उन्होंने सवाल किया, ‘‘इन काले कपड़ों में क्या छिपाना चाहते हैं।’’

गोयल ने कहा कि हम नकारात्मक सोच नहीं रखते हैं और उम्मीद करते हैं कि इनका (कांग्रेस का) अंधेरा छंटेगा, इनको रोशनी दिखेगी और एक समृद्ध भारत के लिए कमल खिलेगा।

वहीं, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि ‘‘इन लोगों ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है और यह लोकसभा अध्यक्ष के संज्ञान में है।’’

इसके बाद सदन की कार्यवाही करीब 20 मिनट के लिए यानी तीन बजे तक स्थगित करनी पड़ी।

हक वैभव दीपक

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