स्वास्थ्य विशेषज्ञों का भी कहना है कि ऐसा कोई भी कदम धीरे-धीरे ही उठाया जाना चाहिए क्योंकि थोड़ी सी भी लापरवाही एक बढ़ी चूक साबित हो सकती हैं
विश्वभर में इससे अभी तक 1,65,000 लोगों की जान जा चुकी है।
अमेरिका प्रतिबंध हटाने के बढ़ते दबाव का अच्छा खासा उदाहरण है, जहां ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि देश के कुछ हिस्से एक बार फिर सामान्य रूप से कार्य करने को तैयार हैं।
वहीं कुछ राज्यों के नेताओं का कहना है कि टेस्ट किट की कमी जैसे संघ के अपर्याप्त कदम बीमारी से निपटने में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं।
देश की जांच प्रणाली में कोई खामी ना होने की बात पर जोर देते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रविवार शाम कहा कि वह कोरोना वायरस की जांच में इस्तेमाल किए जाने वाले स्वाब का निर्माण बढ़ाने के लिए रक्षा निर्माण कानून का इस्तेमाल करेंगे।
ट्रम्प ने राज्य के गवर्नरों द्वारा कोविड-19 के मद्देनजर लगाए प्रतिबंधों के खिलाफ अपने समर्थकों के प्रदर्शनों का भी बचाव किया।
उन्होंने कहा, ‘‘ ये लोग हमारे देश से प्यार करते हैं। वे वापस काम पर लौटना चाहते हैं।’’
लॉकडाउन ने आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन को बाधित कर दिया है और दुनिया को ऐसी स्थिति में ले आया है, जो 1930 की महामंदी के बाद कभी नहीं आई।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इस साल विश्व अर्थव्यवस्था के तीन प्रतिशत संकुचित होने की आशंका जतायी है।
करोड़ों लोगों की नौकरी गई है और लाखों लोगों को डर है कि अगला नंबर उन्हीं का है।
कुछ देशों ने प्रतिबंधों में थोड़ी ढील दी है और आर्थिक गतिविधियां शुरू की हैं। अधिकतर देश इस बात पर राजी हुए हैं कि धीरे-धीरे कदम उठाए जाएं।
चीन जहां से यह वैश्वकि महामारी शुरू हुई थी, उसने यात्रा और अन्य प्रतिबंध हटा दिए हैं।
वहीं, भारत ने विश्व के सबसे बड़े लॉकडाउन में ढील देते हुए विनिर्माण और खेती संबंधी कुछ गतिविधियों में छूट दी है, लेकिन इस दौरान कर्मचारियों को सामाजिक दूरी बनाए रखनी होगी और स्वच्छता का भी ध्यान रखना होगा।
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