नयी दिल्ली, 14 नवंबर ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों को अपने संसाधन जुटाने पर ध्यान देना चाहिए और इससे नागरिकों को स्थानीय निकायों से उनकी अपेक्षाओं और मांगों के संदर्भ में संगठित किया जा सकेगा। 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने बृहस्पतिवार को यह बात कही।
पनगढ़िया ने पंचायती राज मंत्रालय द्वारा ‘वितरण से विकास’ विषय पर आयोजित वित्त आयोगों के एक दिन के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि शहरी और ग्रामीण स्थानीय निकायों की मांगों में मेल देखा जा रहा है।
सम्मेलन में प्रणालीगत चुनौतियों के समाधान पर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श, राज्य वित्त आयोगों का समय पर गठन, सिफारिशों का कार्यान्वयन और पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को धन का सुचारू प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए संस्थागत तंत्र को मजबूत बनाने पर चर्चा की गई।
सम्मेलन में पंचायतों के बीच वित्तीय स्वायत्तता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने पर भी चर्चा की गई।
पनगढ़िया ने कहा कि स्थानीय निकायों को अपने स्वयं के संसाधन जुटाने पर भी विचार करना चाहिए।
उन्होंने कहा, “सेवा प्रावधान के दृष्टिकोण से कुछ स्वयं के संसाधन जुटाना भी महत्वपूर्ण है... जब नागरिक करों का भुगतान करते हैं, तो वे उन सेवाओं के बारे में भी जानते हैं जो उन्हें प्रदान की जानी चाहिए।”
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह स्थानीय स्तर पर कार्यों के हस्तांतरण का तर्क भी है। स्थानीय लोगों को पता है कि उन्हें किसकी जरूरत है और क्या चाहिए। यह ज्ञान एक अधिक सक्रिय मांग में बदल जाएगा।”
पनगढ़िया ने कहा कि यह नागरिकों को भी संगठित करेगा।
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