देश की खबरें | विधानमंडल तेजी से अप्रासंगिक होते जा रहे हैं, दोबारा ‘प्रतिष्ठा’ हासिल करने की जरूरत: धनखड़

उदयपुर, 22 अगस्त उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि संसद और विधानमंडल ‘अशांति के अड्डे’ बन गये हैं और वे ‘तेजी से अप्रासंगिक होते जा रहे हैं’, जिससे देश ‘अनिश्चितता की स्थिति’ में पहुंच गया है।

राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) के नौवें भारत क्षेत्र सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए धनखड़ ने राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त में बांटी गई ‘रेवड़ियों’ के प्रति आगाह किया और निर्वाचित प्रतिनिधियों से कुशासन के ऐसे मामलों की पड़ताल करने का आह्वान किया।

धनखड़ ने कहा, "संवाद, विमर्श और बहस के लिए बनाये गये लोकतंत्र के मंदिर इन दिनों विधायकों, जनप्रतिनिधियों के कारण अशांति और व्यवधान के केंद्र बन गए हैं।"

राज्यसभा के सभापति ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप संसद और विधानमंडल तेजी से अप्रासंगिक होते जा रहे हैं।

दो-दिवसीय सम्मेलन के समापन सत्र में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी ने भाग लिया।

धनखड़ की टिप्पणी इस महीने की शुरुआत में संसद के मानसून सत्र के लगभग बर्बाद होने की पृष्ठभूमि में आई है, जब मणिपुर की स्थिति पर विपक्षी दलों के बार-बार विरोध और व्यवधान के बीच दोनों सदनों द्वारा महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए थे।

बाबा साहब भीमराव आंबेडकर को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि अगर सांसद जन कल्याण के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास नहीं करेंगे तो बाहर के लोग संसद के साथ ''घोर अवमानना'' का व्यवहार करेंगे।

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