जरुरी जानकारी | बीते सप्ताह खाद्यतेल कीमतों में रहा गिरावट का रुख

नयी दिल्ली, 13 नवंबर डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होने से खाद्यतेलों का आयात सस्ता बैठने से बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में कच्चा पामतेल (सीपीओ), पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई जबकि मंडियों में कम आपूर्ति (शॉर्ट सप्लाई) के कारण सोयाबीन डीगम तेल और डीओसी की निर्यात मांग से सोयाबीन तिलहन की कीमतों में तेजी रही।

बाजार के जानकार सूत्रों ने बताया कि सरकार के ‘कोटा-प्रणाली’ की वजह से ‘शार्ट सप्लाई’ होने तथा सोयाबीन प्रसंस्करण संयंत्रों का पाइपलाइन खाली होने से भी सोयाबीन तिलहन में सुधार आया। देश में ‘कोटा प्रणाली’ के कारण सूरजमुखी और सोयाबीन डीगम तेल की कम आपूर्ति (शार्ट सप्लाई) की स्थिति पैदा हुई है।

उन्होंने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपये के मजबूत होने के कारण पाम, पामोलीन जैसे आयातित तेलों के सस्ता बैठने से पिछले सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताहांत में सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई है। दूसरी ओर तिलहनों के डी-आयल्ड केक (डीओसी) तथा तिलहनों की निर्यात के साथ स्थानीय मांग होने से सोयाबीन दाना एवं लूज के भाव लाभ के साथ बंद हुए।

कारोबारी सूत्रों ने कहा कि विदेशों से आयात मांग के कारण समीक्षाधीन सप्ताहांत में तिल तेल के भाव में पर्याप्त सुधार आया।

उन्होंने कहा कि किसानों ने पिछले साल अगस्त में सोयाबीन लगभग 10,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेचा था जो इस बार 5,500-5,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बिक रहा है। हालांकि यह कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक ही है पर पिछले साल के भाव के मुकाबले कम ही है। इस बार किसानों ने बीज भी महंगा खरीदा था जिससे किसान कम भाव पर बिकवाली से परहेज कर रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन के मुकाबले पामोलीन सस्ता होने से सोयाबीन रिफाइंड की मांग प्रभावित हुई है जिसके कारण समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दिल्ली एवं इंदौर तेल कीमतों में गिरावट आई है। सूत्रों ने बताया कि मंडियों में मूंगफली और बिनौला के नये फसलों की आवक बढ़ने से इनके तेल तिलहन कीमतों में गिरावट आई है।

सूत्रों के मुताबिक, खाद्यतेल में आत्मनिर्भर होने के लिए सरकार को बहुत प्रयास करने होंगे और इसके लिए खाद्यतेलों का वायदा कारोबार को न खोलना सबसे अहम है। उनका कहना है कि वायदा कारोबार से सट्टेबाजी को बल मिलता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 के अप्रैल-मई महीने में आयातित तेलों की भारी कमी होने पर देशी तेल-तिलहनों की मदद से इस कमी को पूरा करने में सफलता मिली थी और उस वक्त खाद्य तेलों का वायदा कारोबार भी बंद था। इस पहलू को ध्यान में रखते हुए तेल तिलहन उत्पादन बढाने और इसमें आत्मनिर्भरता हासिल कर लेना बहुत जरूरी है। विदेशी बाजारों की गिरावट और तेजी से घरेलू तेल उद्योग, किसान और उपभोक्ता परेशान हैं।

सूत्रों ने कहा कि वर्ष 1991-92 में खाद्यतेलों का वायदा कारोबार नहीं होने पर भी खाद्यतेल मामले में देश लगभग आत्मनिर्भर था। इसके साथ ही तिलहनों के डी-आयल्ड केक (डीओसी) और तिलहन का निर्यात करके देश पर्याप्त मात्रा में विदेशी मुद्रा भी कमाता था। लेकिन आज देश की खाद्यतेल मामले में विदेशों पर निर्भरता बढ़ती जा रही है और भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी खर्च करनी पड़ती है।

सूत्रों के मुताबिक, पिछले सप्ताहांत के शुक्रवार के बंद भाव के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 50 रुपये बढ़कर 7,475-7,525 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल समीक्षाधीन सप्ताहांत में 50 रुपये बढ़कर 15,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 10-10 रुपये बढ़कर क्रमश: 2,340-2,470 रुपये और 2,410-2,525 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।

सूत्रों ने कहा कि विदेशों में डीओसी की निर्यात मांग बढ़ने से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तिलहन और तिल तेल कीमतों में पर्याप्त सुधार आया।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव क्रमश: 300 और 250 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 5,800-5,900 रुपये और 5,610-5,660 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

पामोलीन तेल के मुकाबले सोयाबीन के महंगा बैठने से सीपीओ की मांग बढ़ी है जिसकी वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतों में हानि दर्ज हुई। सोयाबीन दिल्ली का थोक भाव 100 रुपये घटकर 15,100 रुपये पर बंद हुआ। सोयाबीन इंदौर का भाव 50 रुपये घटकर 14,800 रुपये पर बंद हुआ। इसके उलट ‘कोटा प्रणाली’ से उत्पन्न ‘शॉर्ट सप्लाई’ के कारण सोयाबीन डीगम का भाव 50 रुपये के लाभ के साथ 13,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

नये फसल की आवक बढ़ने के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहनों कीमतों में गिरावट देखने को मिली। समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली तिलहन का भाव 90 रुपये टूटकर 6,810-6,870 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 380 रुपये टूटकर 15,620 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 55 रुपये की गिरावट के साथ 2,520-2,780 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

रुपये के मजबूत होने के बाद आयात सस्ता बैठने से समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 300 रुपये घटकर 9,200 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 300 रुपये टूटकर 10,800 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 400 रुपये की हानि के साथ 9,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

नये फसल की आवक बढ़ने के बाद समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 300 रुपये टूटकर 13,400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बंद हुआ।

राजेश

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