नयी दिल्ली,18 नवंबर: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) सहित संबद्ध प्राधिकारों को उस याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुछ संरक्षण कार्यों में कमी का दावा किया गया है. याचिका के अनुसार, एनएचआईडीसीएल भूस्खलन संरक्षण अवसंरचना के निर्माण, ढलान सुरक्षा कार्य और नदी संरक्षण कार्य के लिए कार्रवाई करने में नाकाम रहा है.
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने उल्लेख किया कि याचिकाकर्ता के वकील ने जिले के बारेथी गांव में मवेशी बाड़ा सहित भूस्खलन संरक्षण अवसंरचना का निर्माण करने और ढलान सुरक्षा कार्य की जरूरत के सिलसिले में उत्तरकाशी में एनएचआईडीसीएल के एक अधिकारी से प्राप्त पत्र का हवाला दिया था. पीठ ने एक हालिया आदेश में कहा कि वकील ने उत्तरकाशी के जिलाधिकारी के कुछ पत्रों का हवाला दिया, जिनमें इस तरह के कार्य किये जाने और इस उद्देश्य के लिए एक समिति गठित करने की आवश्यकता बताई थी.
पीठ ने मीडिया में आई खबर का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तरकाशी में गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग, मॉनसून के दौरान गंगा भागीरथी नदी का जलस्तर बढ़ने से एक बड़े खतरे का सामना कर रहा है. अधिकरण ने खबर को उद्धृत करते हुए कहा कि नदी के तेज प्रवाह के चलते भूमि का कटाव और भूस्खलन होने से तीन स्थानों--चिनयालीसौर, मातली और बादेथी चुंगी--पर राजमार्ग को काफी नुकसान पहुंचा है. पीठ ने कहा, ‘‘पर्यावरण कानूनों के प्रावधानों के पालन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा विषय में शामिल है। इसलिए, हम प्रतिवादियों को नोटिस जारी करना उपयुक्त समझते हैं.’’
प्रतिवादियों में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, एनएचआईडीसीएल और उत्तराखंड सरकार शामिल हैं. अधिकरण ने कहा कि उत्तरकाशी के जिलाधिकारी को मौके पर जाकर निरीक्षण करने और वास्तविक स्थिति एवं आवश्यक अवसंरचना के निर्माण को प्रदर्शित करने वाली रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया जाता है. साथ ही, यदि इस सिलसिले में एनएचआईडीसीएल द्वारा कोई कार्रवाई की गई है तो उसकी रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया जाता है. पीठ ने आठ हफ्तों के अंदर जिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया और विषय की अगली सुनवाई 23 जनवरी के लिए सूचीबद्ध कर दी.
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