अमेरिकी सरकार में संक्रामक रोगों के शीर्ष विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउची ने कहा, ‘‘निश्चित ही यह एक अच्छी खबर है।’’
इस टीके को नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ ऐंड मॉडर्ना इंक में फाउची के सहकर्मियों ने विकसित किया है। इस प्रायोगिक टीके के परीक्षण की दिशा में 27 जुलाई के आसपास एक अहम कदम उठाया जाएगा जब 30,000 लोगों पर यह पता लगाने के लिए कि शोध होगा कि यह टीका कोरोना वाायरस से बचाव में कितना प्रभावशाली है।
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हालांकि मंगलवार को शोधकर्ताओं ने 45 लोगों पर किए शुरुआती परीक्षण के निष्कर्ष बताए जिनके मुताबिक इस टीके से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में अनुसंधानकर्ताओं के हवाले से कहा गया कि उन्होंने शोध में पाया कि इन लोगों के रक्त में संक्रमण को खत्म करने वाली एंटीबॉडी विकसित हो गईं और इनका स्तर कोविड-19 से उबरे लोगों में बनी एंटीबॉडी जैसा ही था।
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सिएटल में केसर परमानेंट वाशिंगटन रिसर्च इंस्टीट्यूट की डॉ. लीजा जैक्सन जिन्होंने इस शोध की अगुवाई की, कहती हैं, ‘‘यह एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे यह पता चलेगा कि टीका संक्रमण से बचाव कर पाता है या नहीं।’’
सरकार को उम्मीद है कि इसके परिणाम साल के अंत तक सामने आ जाएंगे।
इस टीके की एक महीने के अंतर पर दो खुराक दिया जाना जरूरी है। इसके कोई गंभीर दुष्परिणाम नहीं हैं।
टीका विशेषज्ञ और वांडेरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर से जुड़े डॉ विलियम शाफनर ने शुरुआती परिणामों को ‘एक अच्छा पहला कदम’ बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि अंतिम परीक्षण ये जवाब देने में सक्षम होंगे कि यह वास्तव में सुरक्षित और कारगर है।
दुनियाभर में कोविड-19 के करीब दो दर्जन टीकों पर विभिन्न चरणों में काम चल रहा है।
एपी
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