जालंधर, 10 अप्रैल कोविड-19 की वजह से लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण कारोबारी गतिविधियां पूरी तरह ठप है। इसके चलते जालंधर का 2,000 करोड़ रुपये का खेल सामग्री उद्योग भी संकट में है। मौजूदा स्थिति की वजह से खेल सामग्री विनिर्माता उन्हें मिलने वाले आर्डर टाल रहे हैं।
राष्ट्रव्यापी बंदी की वजह से यहां के खेल सामान विनिर्माता अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं। इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि देश के कई हिस्सों में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जाने के चलते सरकार लॉकडाउन को 14 अप्रैल से आगे बढ़ा सकती है।
जालंधर देश का खेल सामग्री विनिर्माण का बड़ा केन्द्र है। देश में विनिर्मित कुल खेल सामग्री का 70 प्रतिशत विनिर्माण जालंधर में होता है। यहां क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल, रग्बी और फिटेनस सामान के प्रमुख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार की बात की जाए तो जालंधर में बना खेल के सामान का ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड और अन्य देशों को निर्यात किया जाता है।
हालांकि, यहां के उद्योगपति सरकार द्वारा लागू बंदी का समर्थन करते हैं, लेकिन इसके साथ ही उनका कहना है कि इसके चलते उद्योग को बड़ी चोट लगेगी और उसे बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा।
एक सदी पुरानी सर्व प्रकाश एंड कंपनी के मालिक अतुल मदान कहते हैं कि कोविड-19 की वजह से सभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सीमाएं सील हैं। यह पूरी तरह लॉकडाउन की स्थिति है। उनकी कंपनी रग्बी के सामान की प्रमुख निर्यातक है।
मदान ने कहा, ‘‘हमारी फुटबॉल, बैट और अन्य खेल सामग्री का न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के लिए भेजा गया निर्यात दिल्ली और मुंबई बंदरगाह पर फंसा हुआ है। इसी तरह केवल अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन मसलन सॉकर लीग या आईपीएल को लेकर अनिश्चय की स्थिति है बल्कि शैक्षणिक संस्थानों में होने वाले आयोजनों का भविष्य अनिश्चित दिख रहा है।’’
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के बाद सरकार को उद्योग को पैकेज देना चाहिए जिससे यह एक बार फिर से उबर सके।
एडब्ल्यूएम स्पोर्ट्स के मालिक नितिन महाजन ने कहा कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी के मिश्रा और पंजाब के वित्त मंत्री को पत्र लिखकर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का रिफंड प्राथमिकता के आधार पर जारी करने की मांग की गई है। इसके अलावा कम से कम इस साल के लिए भारत से वस्तुओं के निर्यात की योजना (एमईआईएस) लाइसेंस का प्रतिशत बढ़ाने की अपील की गई है। महाजन खेल एवं खिलौना निर्यातक संघ के महासचिव भी है।
उन्होंने कहा कि खेल सामग्री आवश्यक वस्तुओं में नहीं आता। इस वजह से भी उद्योग को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
महाजन ने कहा कि डीलरों, वितरकों, कंपनियों से भुगतान नहीं मिलने से विनिर्माताओं को अपने कर्मचारियों का वेतन देने में दिक्कत आ रही है।
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