नयी दिल्ली, 21 अप्रैल देश में कोविड-19 के रोगियों का पता लगाने के लिए जहां जांच में तेजी लाई जा रही है, वहीं राजस्थान सरकार ने चीन की बनी रैपिड एंटीबॉडी रक्त जांच किट से गलत परिणाम आने की बात कही है जिसके बाद आईसीएमआर ने राज्यों को दो दिन तक इस किट का इस्तेमाल नहीं करने को कहा है।
देश में अनेक राज्यों से संक्रमण के नये मामले सामने आने के साथ कुल मामलों की संख्या 19,000 के करीब पहुंच गयी है और मृतक संख्या 600 के पार चली गयी है। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि रोगियों के सही होने की दर सुधरकर 17.5 प्रतिशत हो गयी है और सोमवार को 705 रोगियों का इलाज होने के बाद अस्पतालों से छुट्टी दे दी गयी ।
अब तक 3300 से ज्यादा मरीजों का इलाज हो चुका है और उन्हें अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है। वहीं देश में अब भी 15 हजार मरीजों का इलाज चल रहा है।
पश्चिम बंगाल से मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के तीन नये मामले सामने आए, इस बीच राज्य तथा केंद्र सरकार के बीच राजनीतिक गतिरोध की स्थिति बन गयी है जहां केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि राज्य सरकार कोविड-19 के हालात का आकलन करने पहुंचे केंद्रीय दलों के साथ सहयोगी नहीं कर रही।
राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने केंद्रीय टीमों के दौरे को ‘रोमांचक पर्यटन’ करार दिया और सवाल किया कि ऐसी टीमें उन राज्यों में क्यों नहीं भेजी गयीं जहां अधिक संख्या में संक्रमण के मामले सामने आए हैं।
बाद में राज्य में भेजे गए दो में से एक दल ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और राज्य पुलिस बल के साथ कोलकाता के कुछ इलाकों का दौरा किया।
इस बीच गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि संक्रमण की अधिकता वाले राज्यों में लॉकडाउन के पालन की स्थिति का आकलन करने के लिये मंत्रालय द्वारा गठित उच्चाधिकार प्राप्त समूहों ने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान और पश्चिम बंगाल का दौरा किया।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान पूरा सहयोग दे रहे हैं लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ऐसा नहीं कर रही।
इस दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस संकट से निपटने में मानव संसाधन की जरूरत को पूरा करने के लिये दो वेबपोर्टल शुरु किये हैं। इसकी मदद से स्वास्थ्य कर्मियों और स्वयंसेवियों की जरूरत वाले स्थानों पर तैनाती की जा रही है और संकट से निपटने से संबंधित प्रशिक्षण भी दिए जा रहे हैं।
राष्ट्रपति भवन परिसर में 115 परिवार ऐहतियात के तौर पर स्वत: पृथकवास पर चले गए, जब एक सफाई कर्मी का एक रिश्तेदार जांच में कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया।
हालांकि राष्ट्रपति भवन की विज्ञप्ति में स्पष्ट किया गया कि राष्ट्रपति सचिवालय का कोई कर्मचारी अभी तक संक्रमित नहीं पाया गया है और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर सभी ऐहतियातन कदम उठाये जा रहे हैं।
वक्तव्य में बताया गया कि मध्य दिल्ली के रहने वाले एक रोगी की 13 अप्रैल को मृत्यु हो गई थी। वह राष्ट्रपति सचिवालय का कर्मचारी नहीं था और न ही राष्ट्रपति संपदा में रहता था। लेकिन उसके संपर्कों के बारे में जब जानकारी निकाली गई तो पता चला कि राष्ट्रपति सचिवालय के एक कर्मचारी का एक परिजन उस व्यक्ति के संपर्क में था। वह कर्मचारी और उसके परिजन प्रेसीडेंट ऐस्टेट में रहते हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में संक्रमण के 1,603 मामलों में मरीजों का इलाज चल रहा है। अब तक कोरोना वायरस के कारण 47 लोगों की मौत हुई है।
केजरीवाल ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में उनकी सरकार मीडियाकर्मियों की, कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए जांच कराएगी। मुंबई में 53 मीडियाकर्मियों के कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद केजरीवाल ने यह कहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार बुधवार से मीडियाकर्मियों के लिए कोरोना वायरस जांच की शुरुआत करेगी।
केजरीवाल ने कहा, ‘‘हमने एक सेंटर बनाया है। सभी मीडिया संस्थानों और पत्रकारों को इस बारे में अवगत कराया जाएगा। जो मीडियाकर्मी जांच कराना चाहते हैं वो कल सुबह से इस सेंटर में जांच करा सकते हैं।’’
गौरतलब है कि तमिलनाडु में भी कई पत्रकार और मीडिया संगठनों के कर्मी कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं।
इधर, कोरोना वायरस संक्रमण से उपजे हालात का जायजा लेने के लिए जयपुर पहुंचे केंद्रीय दल ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ विचार-विमर्श किया।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने बताया कि राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिए चीन में बने त्वरित जांच किट का उपयोग फिलहाल रोक दिया गया है क्योंकि इसके परिणाम सटीक नहीं आ रहे। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद आईसीएमआर द्वारा भेजी गयी त्वरित जांच किट से एसएमएस अस्पताल में भर्ती उन मरीजों की जांच की गयी थी जो पीसीआर टेस्ट में संक्रमित पाये गये थे। 168 ऐसे मरीजों की जांच इस किट के जरिए फिर से की गई।
मुख्यमंत्री गहलोत ने राज्यों को आर्थिक पैकेज देने की बात की और सामाजिक सुरक्षा के लिए भी पैकेज मांगा।
शर्मा के अनुसार इस जांच का परिणाम कायदे से तो 90 प्रतिशत आना चाहिए था लेकिन यह केवल 5.4 प्रतिशत आया।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक रमन आर गंगाखेड़कर ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण पर निगरानी के लिये राज्यों को दी गयी रैपिड टेस्टिंग किट के परीक्षण परिणाम में अंतर मिलने की शिकायतों के मद्देनजर उन्हें अगले दो दिन तक इसका इस्तेमाल नहीं करने का परामर्श दिया गया है।
उन्होंने बताया कि आईसीएमआर के विशेषज्ञों द्वारा दो दिन में वस्तुस्थिति का पता लगाने के साथ ही राज्यों को इस किट के उपयोग के बारे में परामर्श जारी किया जायेगा।
गंगाखेड़कर ने कहा कि अगर किट के बैच संबंधी तकनीकी परेशानी पायी जाती है तो इसकी आपूर्ति करने वाली कंपनी से इसे बदलने के लिये कहा जायेगा। उन्होंने कहा कि इस बीच आईसीएमआर ने किट में तकनीकी परेशानी का हल किये जाने तक सभी राज्यों को दो दिन तक रैपिड किट से परीक्षण नहीं करने को कहा है।
उन्होंने बताया कि देश में मंगलवार तक कोरोना वायरस के 4,49,810 परीक्षण किये जा चुके हैं। इनमें 35,832 परीक्षण पिछले 24 घंटों में किये गये। इनमें आईसीएमआर की 201 प्रयोगशालाओं में 29,776 परीक्षण और निजी क्षेत्र की 86 प्रयोगशालाओं में 6,076 परीक्षण किये गये।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक मंगलवार को पिछले 24 घंटों के दौरान देश में कोरोना वायरस से संक्रमण के नये मामलों में कमी और स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा दर्ज किया गया है। हालांकि इस अवधि में मृतकों की संख्या बढ़ी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 18,985 पर पहुंच गया है।
उन्होंने कहा कि पिछले 24 घंटों में स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या 705 थी, यह एक दिन में स्वस्थ होने वालों की सर्वाधिक संख्या है। अग्रवाल ने कहा कि इसके साथ ही स्वस्थ होने वाले मरीजों का प्रतिशत 14.75 से बढ़कर 17.48 हो गया है।
इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को सचेत किया कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों में ढील देने में जल्दबाजी करने से यह संक्रमण फिर से जोर पकड़ सकता है।
डब्ल्यूएचओ ने यह चेतावनी ऐसे समय में दी है जब सरकारें प्रतिबंधों में ढील देकर आर्थिक गतिविधियां चालू करने की योजना बना रही हैं।
डब्ल्यूएचओ के लिए पश्चिमी प्रशांत के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. ताकेशी कासेई ने कहा, ‘‘ यह ढिलाई बरतने का समय नहीं है, बल्कि हमें निकट भविष्य के लिए जीवन जीने के नए तरीके को लेकर स्वयं को तैयार रखने की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा कि सरकारों को वायरस को फैलने से रोकने को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है और लॉकडाउन एवं सामाजिक दूरी बनाए रखने के अन्य कदमों को धीरे-धीरे हटाया जाना चाहिए। इसके साथ ही लोगों को स्वस्थ रखने एवं अर्थव्यवस्था को चालू रखने के बीच संतुलन कायम करने की आवश्यकता है।
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