नयी दिल्ली, 13 जून राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को भी कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि जारी रही। लगातार दूसरे दिन दो हजार से अधिक संक्रमण के मामले सामने आने के साथ ही संक्रमितों की संख्या 39 हजार के करीब पहुंच गई।
इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 की स्थिति पर चर्चा के लिये रविवार को दिल्ली के उप-राज्यपाल अनिल बैजल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व अन्य के साथ बैठक करेंगे।
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इसके अलावा, वह अलग से दिल्ली के तीनों नगर निगमों और निगम आयुक्तों के साथ भी एक बैठक करेंगे।
केजरीवाल 17 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी बैठक करेंगे।
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दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को 2,134 नए मामले सामने आए, जिसके बाद यहां कुल संक्रमितों की संख्या 38,958 हो गई जबकि मौत के 57 नए मामलों के साथ ही मृतकों का आंकड़ा बढ़कर 1,271 हो गया।
यह दूसरा दिन है जब एक ही रोज में संक्रमण के मामले दो हजार से अधिक पाए गए हैं। इससे पहले, शुक्रवार को 2,137 मामले सामने आए थे।
कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों के लिहाज से महाराष्ट्र और तमिलनाडु के बाद देश में दिल्ली तीसरे स्थान पर है।
शाह के कार्यालय की तरफ से किए गए ट्वीट में कहा गया, “गृह मंत्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के संदर्भ में स्थिति की समीक्षा के लिये दिल्ली के उप- राज्यपाल, मुख्यमंत्री और एसडीएमए के सदस्यों के साथ कल, 14 जून को सुबह 11 बजे बैठक करेंगे। एम्स के निदेशक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस दौरान मौजूद रहेंगे।”
इसके कुछ घंटों बाद गृहमंत्री के कार्यालय की तरफ से घोषणा की गई कि रविवार को ही दिल्ली के तीनों नगर निगमों- उत्तर, दक्षिण और पूर्वी – के महापौरों और शीर्ष अधिकारियों के साथ अलग से बैठक की जाएगी।
राजधानी में कोविड-19 की स्थिति से निपटने के तरीकों और अस्पतालों में मरीजों के लिये बिस्तरों की उपलब्धता नहीं होने व प्रयोगशालाओं में जांच में आ रही मुश्किलों को लेकर अलग-अलग वर्गों द्वारा आलोचना हो रही है।
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को शहर की सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि दिल्ली की अस्पतालों की स्थिति बेहद “भयावह” है और कोविड-19 मरीजों के पास शव रखे दिख रहे हैं।
न्यायालय की टिप्पणी के बाद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने कहा कि वह पूरे सम्मान और ईमानदारी के साथ उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों को स्वीकार करती है और दिल्ली सरकार सभी के लिए स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने और प्रत्येक कोविड-19 मरीज के लिए हरसंभव इलाज सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध है।
बैजल ने भी कोविड-19 प्रबंधन योजना और राजधानी में चिकित्सा ढांचे को और सुदृढ़ बनाने पर सुझाव देने के लिये छह सदस्यीय एक समिति का गठन किया है।
बैजल ने हाल में दिल्ली सरकार के उस फैसले को पलट दिया था जिसमें कहा गया कि अस्पताल के बिस्तर और जांच सिर्फ दिल्ली वालों के लिये हैं और जांच भी उन मरीजों की होगी जिनमें लक्षण नजर आएंगे।
बैजल की परामर्श समिति में आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य कृष्ण वत्स और कमल किशोर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया, डीजीएचएस के अतिरिक्त डीडीजी डा. रवींद्रन और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र के निदेशक सुरजीत कुमार सिंह शामिल हैं।
अरविंद केजरीवाल सरकार कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों में मद्देनजर दक्षिणी दिल्ली में विशाल तंबू में कोरोना वायरस रोगियों के लिये 10 हजार बिस्तरों वाला अस्थायी अस्पताल तैयार करने की योजना बना रही है।
यह प्रस्तावित अस्पताल आध्यात्मिक संगठन स्वामी सत्संग व्यास के दक्षिणी दिल्ली स्थित परिसर में स्थापित किया जाएगा।
राधा स्वामी सत्संग, भाटी माइंस के सचिव विकास सेठी ने कहा कि संगठन का हरा-भरा परिसर दिल्ली-हरियाणा सीमा के नजदीक स्थित है। कोविड-19 अस्पताल की लंबाई 1700 फुट जबकि चौड़ाई 700 फुट होगी।
उन्होंने कहा कि यह इस तरह का दिल्ली का सबसे बड़ा अस्थायी अस्पताल होगा। जून के अंत तक इसका काम पूरा होने की उम्मीद है।
दिल्ली सरकार के अनुमान के अनुसार जुलाई के अंत तक राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 रोगियों की संख्या पांच लाख से अधिक हो सकती है। कोविड-19 रोगियों के लिये लगभग एक लाख बिस्तरों की जरूरत पड़ेगी।
फिलहाल दिल्ली में राज्य सरकार, केन्द्र सरकार और निजी अस्पातलों में कोविड-19 के लिए समर्पित कुल 9,647 बिस्तरों की व्यवस्था है। इनमें से 5,402 पर रोगी भर्ती हैं।
इसके अलावा दिल्ली सरकार ऐसे समुदाय भवनों और स्टेडियमों की भी पहचान शुरू कर दी है, जिन्हें अस्थायी कोविड-19 अस्पताल बनाया जा सकता है।
उधर, राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस की जांच में कमी को लेकर उच्चतम न्यायालय द्वारा चिंता जताने के एक दिन बाद शनिवार को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने इसकी जिम्मेदारी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) पर डालते हुए कहा कि जांच में वृद्धि करने के लिए उसके दिशा-निर्देशों में बदलाव होना चाहिए।
वहीं, जैन ने कहा कि एलएनजेपी अस्पताल में वीडियो बनाने वाले संविदा कर्मचारी को निलंबित किया गया है। वीडियो में दिखाया गया था कि किस तरह कथित तौर पर शवों और मरीजों को लेकर लापरवाही बरती जा रही है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ''जिस संविदा कर्मचारी ने वीडियो बनाया, वह प्रेरित था और खास उद्देश्य से बनाया गया था। उस व्यक्ति को निलंबित किया गया है।''
उन्होंने कहा, ''अगर आप कोरोना वायरस के परीक्षण की संख्या में वृद्धि करना चाहते हैं तो आईसीएमआर को उसके दिशा-निर्देशों में बदलाव करने को कहें। हम आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन नहीं कर सकते।''
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