पर्थ, 21 नवंबर युवा भारतीय बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने अपने टेस्ट करियर की शानदार शुरुआत की है और उन्होंने कहा कि सुपरस्टार विराट कोहली की जीवन के हर पहलू में अनुशासित रहने की सलाह ही राष्ट्रीय टीम में लंबा करियर बनाने की उनकी महत्वाकांक्षा का मार्गदर्शक है।
बाइस साल के जायसवाल ने अब तक सिर्फ 14 टेस्ट खेले हैं लेकिन इस दौरान उन्होंने तीन शतक और आठ अर्धशतक की मदद से 56 से अधिक की औसत से रन बनाए हैं। अब वह शुक्रवार से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शुरू हो रही पांच टेस्ट मैच की श्रृंखला के लिए तैयार हैं।
जायसवाल ने ‘बीसीसीआई.टीवी’ से कहा, ‘‘जब मैंने सीनियर क्रिकेट खेलना शुरू किया तो मैंने विराट पाजी से बात की कि वह खुद को कैसे मैनेज करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पाजी (कोहली) ने मेरे से कहा कि अगर मुझे इतना क्रिकेट खेलना है (जितना उन्होंने खेला है) तो मुझे अपनी दिनचर्या में अनुशासित होना होगा और प्रक्रिया का पालन करना होगा।’’
बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा, ‘‘मैंने उन्हें (कोहली) दिन-प्रतिदिन लगातार ऐसा करते देखा है। वह मुझे खुद पर काम करने और अपनी आदतों में बदलाव लाने के लिए प्रेरित करते हैं।’’
इसके बाद जायसवाल ने अपनी दिनचर्या के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हमेशा अपने काम में निरंतरता पर विश्वास किया है। जब भी मैं अभ्यास के लिए जाता हूं तो मेरे पास हमेशा एक योजना होती है। मेरा ध्यान उबरने पर होता है, अगले अभ्यास के लिए तरोताजा रहना और अपने खान-पान का ध्यान रखना।’’
जायसवाल ने कहा, ‘‘भारत के लिए खेलने की इच्छा मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा है। मुझे यह अवसर मिलना वाकई सौभाग्य की बात है और मैं इसके लिए तैयार हूं।’’
मुंबई के इस बल्लेबाज ने परिस्थितियों से तेजी से सामंजस्य बैठाने की टीम की क्षमता पर कार्यवाहक कप्तान जसप्रीत बुमराह के भरोसा से सहमति जताई।
उन्होंने कहा, ‘‘यह अलग जगह है। गेंद एक अलग ऊंचाई पर आती है लेकिन हम सभी जानते हैं और हम मानसिक रूप से तैयार हैं। मैं मैदान पर उतरना चाहता हूं, इसे देखना चाहता हूं और वहां टिके रहना चाहता हूं।’’
जायसवाल जानते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में अवसर तलाशना ही पुरुषों को लड़कों से अलग करता है और उनका मानना है कि वे चुनौतियों के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं हमेशा इसे अपने लिए एक अवसर के रूप में देखता हूं कि मैं वहां जाऊं और सीखूं।’’
जायसवाल ने कहा, ‘‘लोग अक्सर ऐसी बातें करते हैं कि ऐसा होता है और वैसा होता है लेकिन मैं जाकर उन चीजों का सामना करना चाहता हूं और उस मुस्कान का आनंद लेना चाहता हूं, मैं बस यही सोचता हूं। जब तक आप वहां (व्यक्तिगत रूप से) नहीं होते तब तक आपको यह महसूस नहीं होता कि यह क्या है।’’
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