ED Summons CM Kejriwal: केजरीवाल पूछताछ के लिए ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए, समन ‘‘वापस लेने’’ की मांग की
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब खत्म हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित एक मामले में पूछताछ के लिए बृहस्पतिवार को प्रवर्तन निदेशाल (ईडी) के समक्ष पेश नहीं हुए। उन्होंने केंद्रीय जांच एजेंसी को पत्र लिखकर उन्हें भेजे गए समन को ‘‘वापस लेने’’ की मांग की और कहा कि नोटिस ‘‘अस्पष्ट, (राजनीति से) प्रेरित और कानून के मुताबिक विचारणीय नहीं’’ है.
नयी दिल्ली, 2 नवंबर: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब खत्म हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित एक मामले में पूछताछ के लिए बृहस्पतिवार को प्रवर्तन निदेशाल (ईडी) के समक्ष पेश नहीं हुए। उन्होंने केंद्रीय जांच एजेंसी को पत्र लिखकर उन्हें भेजे गए समन को ‘‘वापस लेने’’ की मांग की और कहा कि नोटिस ‘‘अस्पष्ट, (राजनीति से) प्रेरित और कानून के मुताबिक विचारणीय नहीं’’ है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, ईडी मुख्यमंत्री के जवाब की समीक्षा कर रहा है.
ईडी से जुड़े सूत्रों ने संकेत दिया कि केजरीवाल को नयी तारीख दी जा सकती है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने हाल में अभियोजन पक्ष की ओर से दिए गए आश्वासन का संज्ञान लिया है कि मामले की सुनवाई अगले 6-8 महीनों के भीतर समाप्त हो जाएगी. केंद्रीय एजेंसी ने केजरीवाल को कथित दिल्ली आबकारी नीति मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था और वह धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनका बयान दर्ज करने वाली थी.
इस मामले में केजरीवाल की पार्टी के सहयोगी मनीष सिसोदिया और संजय सिंह न्यायिक हिरासत में हैं. इससे पहले दिन में आम आदमी पार्टी (आप) के एक नेता ने कहा था कि केजरीवाल मध्य प्रदेश के सिंगरौली जाएंगे जहां वह पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ एक रोडशो में हिस्सा लेंगे. दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने कहा कि जांच एजेंसी के नोटिस पर अपने जवाब में केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि समन ‘‘गैरकानूनी, राजनीति से प्रेरित’’ है और इसका उद्देश्य उन्हें चुनावी राज्यों में चुनाव प्रचार अभियान में हिस्सा लेने से रोकना है.
केजरीवाल ने आरोप लगाया कि यह ‘‘अस्पष्ट, (राजनीति से) प्रेरित और कानून के मुताबिक विचारणीय नहीं’’ है. उन्होंने दावा किया कि अनावश्यक पूछताछ के लिए उन्हें यह नोटिस भाजपा के इशारे पर भेजा गया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि जांच एजेंसी ने उन्हें किस हैसियत से पूछताछ के लिए बुलाया है? उन्होंने कहा, ‘‘उक्त समन में यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें एक गवाह या संदिग्ध, किस हैसियत से पूछताछ के लिए बुलाया गया है.’’ केजरीवाल ने कहा, ‘‘उक्त समन में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि मुझे एक व्यक्ति के तौर पर बुलाया गया है या दिल्ली के मुख्यमंत्री के आधिकारिक पद पर बैठे व्यक्ति के तौर पर अथवा आप के राष्ट्रीय संयोजक के तौर पर.’’
मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि प्रतीत होता है कि नोटिस (राजनीति से) प्रेरित है. उन्होंने कहा, ‘‘30.10.2023 की दोपहर जैसे ही समन भेजा गया भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं ने बयान देना शुरू कर दिया कि जल्द मुझे तलब किया जाएगा और गिरफ्तार किया जाएगा. उसी दिन शाम तक मुझे आपका समन प्राप्त हुआ.’’ केजरीवाल ने आरोप लगाया, ‘‘इसलिए प्रतीत होता है कि मेरी छवि और प्रतिष्ठा धूमिल करने के लिए उक्त समन की जानकारी कुछ भाजपा नेताओं को लीक की गई और इसे केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के इशारे पर जारी किया गया है.’’
उन्होंने दावा किया कि भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने 30 अक्टूबर की दोपहर को ‘‘खुलेआम’’ कहा था कि मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जाएगा, उसी दिन मुख्यमंत्री को समन किया गया था. केजरीवाल ने कहा कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री होने के साथ साथ आप के राष्ट्रीय संयोजक भी हैं और उनका मिजोरम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान एवं तेलंगाना में अपनी पार्टी के ‘‘स्टार प्रचारक’’ के तौर पर यात्रा करना जरूरी है, जहां इस महीने विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी आधिकारिक प्रतिबद्धताओं विशेषकर नवंबर के दूसरे सप्ताह में दिवाली के त्योहार के मद्देनजर उनकी उपस्थिति आवश्यक है. उन्होंने ईडी से उन्हें भेजा गया समन वापस लेने का अनुरोध किया. आप ने आरोप लगाया था कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस’) के शीर्ष नेताओं को निशाना बनाने की भाजपा की साजिश के तहत केजरीवाल गिरफ्तार होने वाले पहले व्यक्ति होंगे और ईडी का समन उस पार्टी को खत्म करने का एक प्रयास है जो दिल्ली और पंजाब में सत्ता में है.
आरोप है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने के लिए दिल्ली सरकार की 2021-22 की आबकारी नीति को कुछ डीलरों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया था जिन्होंने कथित तौर पर इसके लिए रिश्वत दी थी. आप ने इस आरोप का बार-बार खंडन किया है. बाद में नीति को रद्द कर दिया गया और दिल्ली के उप राज्यपाल ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सिफारिश की, जिसके बाद ईडी ने धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया.
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