Karnataka: एमयूडीए मामले में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस को जांच का आदेश

बेंगलुरु, 25 सितंबर : कर्नाटक की एक विशेष अदालत ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ बुधवार को लोकायुक्त पुलिस से जांच कराने का आदेश दिया. विशेष अदालत के न्यायाधीश संतोष गजानन भट्ट के इस आदेश से एक दिन पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस मामले में सिद्धरमैया के खिलाफ जांच कराने की राज्यपाल थावरचंद गहलोत की मंजूरी को बरकरार रखा था. इस मामले में एमयूडीए पर सिद्धरमैया की पत्नी को 14 भूखंड आवंटित करने में अनियमितताएं बरतने का आरोप है. विशेष अदालत ने मैसूरु में लोकायुक्त पुलिस को आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर शिकायत पर जांच शुरू करने का निर्देश दिया है.

अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) (जो मजिस्ट्रेट को संज्ञेय अपराध की जांच का आदेश देने का अधिकार प्रदान करती है) के तहत जांच करने के निर्देश जारी किए. अदालत ने पुलिस को 24 दिसंबर तक जांच रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया. उच्च न्यायालय ने सिद्धरमैया की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए के तहत जांच की मंजूरी देने संबंधी राज्यपाल के 16 अगस्त के आदेश की वैधता को चुनौती दी थी. यह मामला सिद्धरमैया की पत्नी बी. एम. पार्वती को कथित तौर पर मुआवजे के तौर पर मैसूरु के एक पॉश इलाके में जमीन आवंटित किए जाने से जुड़ा है, जिसका संपत्ति मूल्य उनकी उस जमीन की तुलना में अधिक था जिसे एमयूडीए ने ‘‘अधिग्रहीत’’ किया था. यह भी पढ़ें : दिल्ली : एमसीडी स्थायी समिति सदस्य चुनाव से पहले ‘आप’ के दो पार्षद भाजपा में शामिल

एमयूडीए ने पार्वती की 3.16 एकड़ जमीन के बदले में उन्हें 50:50 के अनुपात से भूखंड आवंटित किये थे जहां उसने आवासीय लेआउट विकसित किये थे. इस विवादास्पद योजना के तहत एमयूडीए ने उन लोगों को 50 प्रतिशत विकसित जमीन आवंटित की थी जिनकी अविकसित जमीन आवासीय लेआउट विकसित करने के लिए ली गयी थी. आरोप है कि मैसूरु तालुक के कसाबा होबली के कसारे गांव के सर्वे नंबर 464 में स्थित 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी हक नहीं था.