देश की खबरें | कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष ने 'ई-विधान' में देरी के लिए सरकार, नौकरशाही व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया

बेंगलुरु, 31 जुलाई कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने शनिवार को ‘ई-विधान’ के कार्यान्वयन के साथ ‘‘डिजिटल विधानमंडल’’ होने में देरी के लिए राज्य सरकार और नौकरशाही प्रणाली को दोषी ठहराया।

‘ई-विधान’ का उद्देश्य विधानसभा के सत्रों को कागज रहित बनाना है और यह कानून बनाने की प्रक्रिया के स्वचालन को भी सक्षम बनाता है।

कागेरी ने कहा, ‘‘अध्यक्ष के रूप में मेरे दो वर्षों में एक चीज जो मैं करना चाहता था, लेकिन जिसे नहीं कर सका वह ई-विधान है। सरकार का रुख इसका कारण है। मैं इसके बारे में और कुछ नहीं कहना चाहता।’’

पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने यहां कहा, ‘‘2014 के बाद से मेरे और पिछले अध्यक्षों के सभी प्रयासों के बावजूद, ई-विधान का कार्यान्वयन आज तक नहीं हुआ है, क्योंकि विधायिका के पास कोई वित्तीय स्वायत्तता नहीं है और उसे इसके कार्यान्वयन के लिए सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है।’’

ई-विधान को शुरू करने की प्रक्रिया 2014 में शुरू हुई जब कर्नाटक की एक टीम ने परियोजना का अध्ययन करने के लिए इसे लागू करने वाले पहले राज्य हिमाचल प्रदेश का दौरा किया और इसकी अनुमानित लागत लगभग 69 करोड़ रुपये है, और इसमें कई समय सीमाएं देखी गई हैं।

आने वाले दिनों में कर्नाटक विधानसभा में ई-विधान को लागू करने के लिए सरकार से सभी आवश्यक उपाय करने का आग्रह करते हुए, कागेरी ने कहा, ‘‘पड़ोसी केरल, हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्यों और अन्य ने इसे लागू किया है, लेकिन बेंगलुरु जिसे आईटी शहर के रूप में वैश्विक मान्यता प्राप्त है, यहां राज्य विधानमंडल में ई-विधान नहीं होना दुखद बात है।’’

उन्होंने सरकार से इसे गंभीरता से लेते हुए ई-विधान लागू करने को कहा। ई-विधान का कार्यान्वयन नहीं होने के लिए नौकरशाही व्यवस्था को दोषी ठहराते हुए, अध्यक्ष ने कहा, ‘‘जब तक अधिकारी प्रशासनिक व्यवस्था में नई चीजों का स्वागत नहीं करते हैं और वैश्विक स्तर पर हो रहे परिवर्तनों के अनुकूल होने के लिए सक्रिय नहीं होते हैं, तब तक यह मुश्किल है। नई चीजें अपनायें और आगे बढ़ें।’’

कागेरी ने अध्यक्ष पद संभालने के बाद पिछले दो वर्षों में कर्नाटक विधानसभा की उपलब्धियों का उल्लेख किया। अध्यक्ष ने कहा कि पिछले दो वर्षों में 54 दिनों के लिए पांच सत्र आयोजित किए गए हैं और 272 घंटे के लिए कामकाज हुआ है।

उन्होंने कहा कि अधिकांश विधेयक चर्चा के बाद ही पारित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों के दौरान आयोजित पांच सत्रों के दौरान कुल 98 विधेयक पेश किए गए, जिनमें से 96 पारित किए गए हैं।

कागेरी ने कहा कि प्रश्नकाल 94 प्रतिशत उपलब्धि के साथ ‘‘सफल’’ रहा है। उन्होंने कहा कि प्राप्त 11,252 प्रश्नों में से 825 तारांकित थे और 804 के उत्तर दिए गए थे, जबकि 10,427 अतारांकित प्रश्नों में से 9,767 के उत्तर दिए गए थे।

उन्होंने कहा कि विधानसभा में कुल 224 सदस्यों में से 173 ने सक्रिय रूप से प्रश्नकाल में भाग लिया।

मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली नई कैबिनेट में मंत्री बनने के संबंध में पूछे गये एक सवाल के जवाब में कागेरी ने कहा, ‘‘यह सवाल मुझसे नहीं, बल्कि किसी और से पूछा जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं अब अध्यक्ष हूं, मैंने कर्नाटक विधानसभा को अगले वर्षों में सर्वश्रेष्ठ बनाने का इरादा व्यक्त किया है। मैं इस दिशा में अपनी गतिविधियों को अंजाम दूंगा।’’

शुक्रवार शाम को उनके आवास पर संघ परिवार की पृष्ठभूमि वाले कुछ विधायकों की बैठक और इसके संबंध में अटकलों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने केवल इतना कहा कि क्योंकि वह अध्यक्ष हैं और विभिन्न राजनीतिक दलों के कई लोग उनके कार्यालय और आवास पर उनसे मिलने आते हैं।

राज्य के मुख्यमंत्री पद के लिए कागेरी का नाम भी चर्चा में था।

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