कोलंबो, चार अक्टूबर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके से मुलाकात की और ‘‘दोनों देशों के बीच जारी सहयोग को प्रगाढ़ करने के तरीकों एवं भारत-श्रीलंका संबंधों को मजबूत करने’’ पर चर्चा की।
जयशंकर ने श्रीलंका के आर्थिक पुनर्निर्माण में भारत के सहयोग जारी रखने के प्रति भी आश्वस्त किया।
श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में दिसानायके के शपथ लेने के एक पखवाड़े के अंदर, जयशंकर एक दिवसीय दौरे पर शुक्रवार सुबह यहां पहुंचे।
जयशंकर ने कोलंबो हवाई अड्डे पर पहुंचने के तुरंत बाद ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘(श्रीलंका के) राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके से आज कोलंबो में मिलकर अच्छा लगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से शुभकामनाएं दीं।’’
उन्होंने पोस्ट में कहा, ‘‘भारत-श्रीलंका संबंधों के लिए उनकी गर्मजोशी भरी भावनाओं और मार्गदर्शन की सराहना की। दोनों देशों और क्षेत्र के लोगों के लाभ के लिए जारी सहयोग को प्रगाढ़ करने और भारत-श्रीलंका संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की।’’
दिसानायके के नेतृत्व वाली ‘नेशनल पीपुल्स पावर’ (एनपीपी) की सरकार के 23 सितंबर को सत्ता में आने के बाद जयशंकर श्रीलंका का दौरा करने वाले पहले विदेशी राजनयिक हैं।
श्रीलंका की विदेश सचिव अरुणी विजयवर्धने और श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा ने हवाई अड्डे पर जयशंकर का स्वागत किया।
इससे पहले, जयशंकर ने श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिता हेराथ से मुलाकात की। जयशंकर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आज कोलंबो में विदेश मंत्री विजिता हेराथ के साथ व्यापक और विस्तृत बातचीत हुई। उन्हें उनकी नयी जिम्मेदारी के लिए फिर से शुभकामना दी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत-श्रीलंका साझेदारी के विभिन्न आयामों की समीक्षा की। श्रीलंका के आर्थिक पुनर्निर्माण में भारत के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। हमारी पड़ोस प्रथम नीति और सागर दृष्टिकोण हमेशा भारत-श्रीलंका संबंधों की प्रगति का मार्गदर्शन करेंगे।’’
श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल पर पोस्ट किया, ‘‘विदेश मंत्री विजिता हेराथ ने आज दोपहर श्रीलंका के विदेश मंत्रालय में भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर का स्वागत किया और परस्पर हित के कई मुद्दों पर चर्चा की।’’
दिसानायके ने विपक्ष में रहने के दौरान, कुछ भारतीय परियोजनाओं, खासकर अदाणी समूह द्वारा संचालित सतत ऊर्जा परियोजनाओं पर आपत्तियां जताई थीं।
उन्होंने सत्ता में आने पर इन परियोजनाओं को रद्द करने का वादा किया था और उनका दावा था कि ये परियोजनाएं श्रीलंका के हितों के खिलाफ हैं।
जयशंकर के रवाना होने से पहले नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा था कि जयशंकर कोलंबो की अपनी यात्रा के दौरान श्रीलंकाई नेतृत्व से मुलाकात करेंगे। उसने कहा था, ‘‘भारत की पड़ोस पहले नीति और सागर दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए यह यात्रा परस्पर लाभ के लिए दीर्घकालिक साझेदारी को और गहरा करने के वास्ते दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।’’
अधिकारियों ने यहां बताया कि फरवरी में जयशंकर ने दिसानायके को नयी दिल्ली की यात्रा पर आमंत्रित किया था।
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