नयी दिल्ली, चार अगस्त भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दो उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए सात अगस्त को अपने सबसे छोटे वाणिज्यिक रॉकेट एसएसएलवी को प्रक्षेपित करेगा और उसकी नजर छोटे उपग्रह प्रक्षेपण बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने पर है।
स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) 34 मीटर का है, जो इसरो के बड़े रॉकेट पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) से 10 मीटर छोटा है और 500 किलोग्राम तक के भार को 500 किमी प्लानर ऑर्बिट में ले जा सकता है। पीएसएलवी के विपरीत, एसएसएलवी में ठोस ईंधन- हाइड्रॉक्सिल-टर्मिनेटेड पॉलीब्यूटाडियन का इस्तेमाल होता है। यह रॉकेट को तीन चरणों में प्रक्षेपित कर पेलोड को वांछित ऊंचाई तक ले जाता है। इसके बाद लिक्विड-प्रोपेल्ड वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल (वीटीएम) उपग्रह को कक्षा में स्थापित करता है।
अपने पहले प्रक्षेपण में एसएसएलवी 145 किलोग्राम पृथ्वी अवलोकन-2 उपग्रह और आजादीसैट को कक्षा में स्थापित करेगा, जो कि आठ किलोग्राम का क्यूबसेट है। आजादीसैट को देश भर के सरकारी स्कूलों की 750 छात्राओं द्वारा स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर डिजाइन किया गया है।
इसरो के अधिकारियों के अनुसार, एसएसएलवी का टर्नअराउंड (कार्य संपन्न करने का) समय कम है और इसे एक पखवाड़े के भीतर जोड़ा जा सकता है, जिससे अंतरिक्ष एजेंसी तेजी से बढ़ते लो अर्थ ऑर्बिट लॉन्च क्षेत्र में मांग के मुताबिक प्रक्षेपण सेवा प्रदान करने में सक्षम होगी।
एसएसएलवी डी-1 रविवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 9:18 बजे उड़ान भरेगा और 13.2 मिनट की अपनी उड़ान के अंत में दो पेलोड को कक्षा में स्थापित करेगा। एसएसएलवी की ऊंचाई 34 मीटर है, यान का व्यास दो मीटर और भारवहन क्षमता 120 टन है। दूसरी ओर, पीएसएलवी 44 मीटर लंबा, 2.8 मीटर व्यास वाला होता है और इसकी भारवहन क्षमता 320 टन है। पीएसएलवी कक्षा में 1,800 किलोग्राम तक पेलोड ले जा सकता है।
इसरो के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘एसएसएलवी मॉड्यूलर और एकीकृत सिस्टम तथा एंड-टू-एंड औद्योगिक उत्पादन के लिए मानक इंटरफेस के साथ यान को स्थानांतरित करने के लिए तैयार है।’’ एसएसएलवी की प्रमुख विशेषताओं में सेगमेंट असेंबली को कम करने के लिए ओपन जॉइंट कॉन्फिगरेशन और एकीकरण समय के साथ एक बूस्टर मोटर सेगमेंट शामिल है। इसमें त्वरित एकीकरण और लॉन्च को सक्षम करने के लिए एकीकृत इंटरस्टेज जॉइंट कॉन्फिगरेशन भी है और कम लागत वाली एवियोनिक्स प्रणाली है। एसएसएलवी में मल्टी-सैटेलाइट एडेप्टर डेक, पूरी तरह से स्वदेशी इलेक्ट्रो-मैकेनिकल एक्ट्यूएटर्स समेत एक डिजिटल कंट्रोल सिस्टम भी है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)