इजराइल ने चरमपंथी समूह के उपप्रमुख की हत्या से संबंधित खबरों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया लेकिन डेविड बर्निया की प्रतिक्रिया से ऐसा प्रतीत होता है कि इस हमले के पीछे मोसाद का ही हाथ है। उन्होंने 1972 में म्यूनिख ओलंपिक में हुई हत्याओं के बाद के घटनाक्रमों का जिक्र किया, जब मोसाद के एजेंटों ने इजराइली खिलाड़ियों की हत्या में शामिल फलस्तीनी चरमपंथियों का पता लगाया और उन्हें मार डाला।
लेबनान की राजधानी में हुए हमले में हमास के सबसे वरिष्ठ सदस्य सालेह अरौरी के मारे जाने के बाद हिजबुल्ला उग्रवादियों के साथ तनाव बढ़ने की आशंका के कारण बुधवार को इजराइल में ‘हाई अलर्ट’ घोषित कर दिया गया। लगभग तीन महीने पहले गाजा में युद्ध छिड़ने के बाद अरौरी का मारा जाना हमास के लिए एक बड़ा झटका है।
दक्षिणी बेरूत हिजबुल्ला का गढ़ माना जाता है और यहां पर हमला लेबनान सीमा पर जारी झड़प के युद्ध में तब्दील होने की आशंका को बढ़ा सकता है।
हिजबुल्ला नेता हसन नसरल्ला ने बुधवार शाम को एक भाषण में अरौरी की हत्या का बदला लेने का वादा किया और अपने समूह के बयान को दोहराते हुए कहा कि वह अरौरी की हत्या पर चुप नहीं बैठेगा और बिना सजा दिए नहीं छोड़ेगा। हालांकि नसरल्ला ने इस बात का बिल्कुल भी जिक्र नहीं किया कि जवाब कब और किस रूप में दिया जाएगा।
नसरल्ला ने कहा, ‘‘उन्हें (इजराइल) इसका पछतावा होगा। इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी।''
वहीं बर्निया ने दक्षिणी इजराइल के क्षेत्र पर हमास के हमले का जिक्र करते हुए कहा कि मोसाद गाजा क्षेत्र पर हमला करने वाले हत्यारों का हिसाब-किताब करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस हमले के साजिशकर्ताओं और इससे जुड़े लोगों सहित हमले में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल लोगों के खात्मे का संकल्प जताया।
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