नयी दिल्ली, 12 अप्रैल कोरोना वायरस के खिलाफ मुहिम में जुटे कई संस्थान और स्टार्ट-अप साफ सफाई के लिए ड्रोन, खाने व दवाओं की आपूर्ति के लिये रोबोट व दूर से मरीजों की जांच के लिये खास आलों के साथ ही नोटों व राशन सामग्री को साफ रखने के लिये यूवी टेक्नोलॉजी से युक्त बक्सों समेत कई अभिनव प्रयोग कर रहे हैं।
अस्पतालों में विशेष संक्रमण रोधी कपड़े, कम लागत वाले कोरोना वायरस जांच किट, कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के लिये पृथक लघुकक्ष, परंपरागत ऑक्सीजन मास्क के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल हो सकने लायक बबल हेलमेट्स और सामाजिक दूरी का उल्लंघन होने पर अलार्म की तरह बजने वाले पेंडेंट कुछ ऐसे नए उत्पाद और विचार हैं जो देश में कोरोना वायरस संक्रमण के बाद नजर आ रहे हैं।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु द्वारा कई मोबाइल एप्लीकेशन जैसे “गो कोरोना गो”, “संपर्क-ओ-मीटर” विकसित किये गए जिससे सामाजिक दूरी के कम होने, कोरोना वायरस संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आने के जोखिम की गणना के साथ ही पृथकवास के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों पर भी अधिकारियों द्वारा नजर रखी जाती है।
20 से ज्यादा तकनीकी और वैज्ञानिक संस्थान जहां कोरोना वायरस की दवा तैयार करने के प्रयास में जुटे हैं, वहीं प्रमुख आईआईटी ने भी अपने-अपने संस्थानों में “कोविड-19 विशेषता वाले शोध केंद्र” पहले ही स्थापित कर दिये हैं, जहां और नवोन्मेष उत्पादों को विकसित करने के लिये प्रेरणा दी जाती है।
वायरस के खिलाफ मुहिम में आईआईटी, गुवाहाटी ने विभिन्न ड्रोन विकसित करने में बढ़त ले ली है।
आईआईटी, गुवाहाटी के निदेशक टी जी सीताराम ने पीटीआई को बताया, “एक समूह ने जहां बड़े क्षेत्र को संक्रमण मुक्त करने के लिये ड्रोन बनाया, एक अन्य समूह ने इंफ्रारेड कैमरे से युक्त ड्रोन तैयार किया है, जिससे मानवीय दखल के बिना बड़े समूह की थर्मल स्क्रीनिंग की जा सकती है और एक बार जब बंद खत्म हो जाएगा तो शुरुआती चरण में ही कोविड-19 के मामलों में संदिग्धों की पहचान हो जाएगी।”
उन्होंने कहा, “ड्रोन में लाउडस्पीकर भी लगा है जिसका इस्तेमाल निर्देश देने के लिये भी किया जा सकता है।”
उन्होंने बताया कि संस्थान के एक अन्य दल ने दो रोबोट विकसित किये हैं जिन्हें अस्पतालों के पृथक वार्ड में तैनात किया जा सकता है जिससे कोविड-19 संक्रमित मरीजों को खाना, दवा और अन्य जरूरी चीजों की आपूर्ति के साथ ही संक्रामक वस्तुओं को उनके पास से हटाया जा सकेगा।
आईआईटी रोपड़ ने बक्से के आकार का एक उपकरण विकसित किया है जिसमें पराबैंगनी कीटाणुनाशक विकिरण तकनीक लगी है। इसमें राशन और नोट समेत बाहर से लाए जाने वाले सभी सामान को डाला जा सकता है जिससे उन्हें साफ किया जा सके।
आईआईटी रोपड़ के दल के मुताबिक ट्रंक जब बाजार में आएगा तो यह 500 रुपये में उपलब्ध हो सकता है। इस बक्से के अंदर सामान को साफ होने में 30 मिनट का वक्त लगेगा जिसके बाद 10 मिनट वहीं छोड़ने के बाद इन्हें निकाला जा सकता है।
आईआईटी बॉम्बे के एक स्टार्टअप ने “डिजिटल आला” विकसित किया है जो जो दूर से ही दिल की धड़कन को सुनकर उन्हें दर्ज कर सकता है। इससे स्वास्थ्यकर्मियों के नए कोरोना वायरस के मरीजों के संपर्क में आने का जोखिम कम हो जाएगा।
आईआईटी रुड़की और कानपुर ने कम लागत वाले सचल वेंटिलेटर बनाए हैं।
पंजाब की लवली प्रोफेशनल युनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग के एक छात्र ने ‘कवच’ नाम का एक उपकरण बनाया है जो सामाजिक दूरी के एक मीटर के दायरे का उल्लंघन होते ही चमकने लगेगा और उसमें कंपन होगा।
पेंडेंट की तरह पहने जा सकने वाले इस उपकरण में हर 30 मिनट बाद हाथ धोने के लिये अलार्म भी बजेगा। इसमें तापमान मापने का यंत्र भी लगा है और जैसे ही उपयोगकर्ता के शरीर का तापमान तय सीमा से ज्यादा होगा उसके पास इससे एक एसएमएस पहुंच जाएगा।
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