औरंगाबाद, 25 नवंबर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि किसानों को पारंपरिक फसलों को उगाने के बजाय इथेनॉल उत्पादन का रुख करना चाहिए, क्योंकि इससे लाभप्रदता में सुधार होगा और देश को हरित ईंधन उपलब्ध होगा।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि देश वर्तमान में ईंधन आयात पर प्रति वर्ष आठ लाख करोड़ रुपये खर्च करता है और भविष्य में यह खर्च 25 लाख करोड़ रुपये तक जाने की संभावना है।
गडकरी ने कहा, “देश में किसान आज हमें खाद्यान्न देते हैं लेकिन उन्हें ऊर्जा देना भी शुरू करना चाहिए। देश वर्तमान में ईंधन आयात पर सालाना आठ लाख करोड़ रुपये खर्च करता है, और यह राशि भविष्य में 25 लाख करोड़ रुपये तक जा सकती है। यदि इतनी बड़ी रकम किसानों के पास जाती है, तो वे आत्महत्या नहीं करेंगे।”
उन्होंने कहा कि पारंपरिक फसलों की खेती लाभदायक नहीं होगी, इसके बजाय किसानों को इथेनॉल के उत्पादन की ओर रुख करना चाहिए।
मंत्री ने कहा कि केंद्र ने ऊर्जा उत्पादन में कोयले के बजाय 10 प्रतिशत बायोमास का उपयोग करने का आदेश दिया है, और इससे किसानों को मदद मिलेगी, अगर वे गन्ने की तरह बांस की खेती करते हैं और केवल दो वर्षों में प्रति एकड़ आठ लाख रुपये तक कमाते हैं।
गडकरी लातूर में ‘फीनिक्स आयशर इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च’ के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे। यह देश का पहला संस्थान है जो वाहन चालकों को प्रशिक्षित करेगा और इसे पीपीपी मोड पर स्थापित किया गया है।
मंत्री ने कहा कि देश में करीब 22 लाख वाहन चालकों की कमी है।
उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में तालुका स्तर पर देश में कम से कम 80 चालक प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किए जाएंगे और इस कदम से बेरोजगार युवाओं को भी मदद मिलेगी।
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