मुंबई, 14 फरवरी भारतीय रिजर्व बैंक ने डिजिटल माध्यम से कर्ज देने वाली इकाइयों को पहले से पैनल में शामिल अपने उन एजेंटों के बारे में खुलासा करने को कहा है, जो कर्ज नहीं लौटाये जाने की स्थिति में कर्जदार से संपर्क कर सकते हैं। साथ ही कर्ज वसूली प्रक्रिया शुरू करने से पहले उसके बारे में ग्राहकों को भी सूचना देने को कहा है।
आरबीआई ने कुछ इकाइयों की तरफ से कर्ज के एवज में जरूरत से अधिक ब्याज वसूलने तथा गलत तरीके से कर्ज वसूली गतिविधियों पर लगाम लगाने के मकसद से पिछले साल अगस्त में डिजिटल कर्ज को लेकर नियमों को कड़ा किया था।
नये नियम के तहत जो भी कर्ज वितरित होंगे और उसे लौटाया जाएगा, उसके लिये जरूरी है कि वे कर्जदारों के बैंक खातों और विनियमित इकाइयों (बैंक और एनबीएफसी) के बीच ही होंगे। इसमें कर्ज सेवा प्रदाताओं (एलएसपी) के पूल खाते की कोई भूमिका नहीं होगी।
रिजर्व बैंक ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि साथ ही एलएसपी के लिये कोई भी शुल्क अगर बनता है, तो वह विनियमित इकाइयां देंगी, न कि कर्ज लेने वाला।
केंद्रीय बैंक ने डिजिटल कर्ज दिशानिर्देश पर मंगलवार को बार-बार पूछे जाने वाले सवाल और उसके उत्तर जारी किये।
कर्ज वसूली से जुड़े एजेंट के बारे में इसमें कहा गया है, ‘‘कर्ज मंजूरी के समय, कर्ज लेने वाले को पैनल में शामिल एजेंट के नाम दिये जा जा सकते हैं जो ऋण चूक की स्थिति में उससे संपर्क कर सकता है।’’
अगर कर्ज लौटाने में देरी होती है और वसूली करने वाला एजेंट को कर्जदाता से संपर्क करने का जिम्मा दिया जाता है, तो संबंधित एजेंट को जो जिम्मेदारी दी गयी है, उसके बारे में कर्जदार को पहले ही ई-मेल/एसएमएस के जरिये जानकारी देनी होगी।
आरबीआई ने यह भी कहा कि चेक बाउंस होने या समय पर भुगतान नहीं होने की स्थिति में जुर्माना शुल्क के बारे में अलग से जानकारी दी जानी चाहिए।
क्या सभी कर्ज सेवा देने वालों (एलएसपी) को शिकायत निपटान अधिकारी नियुक्त करने की जरूरत है, आरबीआई ने कहा कि केवल उन इकाइयों को जिनका सामना कर्जदार से होता है, उन्हें ऐसे अधिकारी नियुक्त करने की जरूरत है।
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