देश की खबरें | भारत का समग्र जलाशय भंडारण स्तर पिछले वर्ष से बेहतर, उत्तर क्षेत्र में गिरावट: सीडब्ल्यूसी

नयी दिल्ली, सात अक्टूबर भारत के जलाशयों में जल भंडारण क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और देशभर में उनमें से 155 जलाशयों में जल भंडारण उनकी क्षमता का 88 प्रतिशत है, जो सामान्य भंडारण क्षमता से 14 प्रतिशत अधिक है।

यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के भंडारण स्तर की तुलना में उल्लेखनीय सुधार है जो 134.056 बीसीएम (अरब घन मीटर) था। साथ ही सामान्य 10-वर्ष का औसत भंडारण 139.114 बीसीएम था।

बुलेटिन में कहा गया है कि देशभर में 86 जलाशयों में पिछले वर्ष की तुलना में अधिक भंडारण स्तर दर्ज किया गया है और 123 जलाशय में जल भंडारण उनकी सामान्य क्षमता से अधिक है।

2024 के आंकड़े पिछले वर्ष के स्तर की तुलना में 18 प्रतिशत की वृद्धि और सामान्य भंडारण की तुलना में 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाते हैं। वहीं देशभर में समग्र भंडारण स्तर अधिक है।

गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा को मिलाकर पश्चिमी क्षेत्र में सबसे पुष्ट भंडारण आंकड़े देखे गए हैं, जहां कुल भंडारण क्षमता का 97 प्रतिशत पहले ही भर चुका है।

यह पिछले वर्ष के 89 प्रतिशत के आंकड़े की तुलना में काफी सुधार है और इस क्षेत्र के लिए सामान्य भंडारण 78 प्रतिशत से भी अधिक है।

मध्य क्षेत्र में भी सकारात्मक रुख देखा गया जिसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। वहां कुल उपलब्ध भंडारण क्षमता का 91 प्रतिशत उपलब्ध है - जो पिछले वर्ष के 84 प्रतिशत और सामान्य 81 प्रतिशत दोनों से अधिक है।

इस बीच, पूर्वी क्षेत्र ने अपनी भंडारण क्षमता का 86 प्रतिशत दर्ज किया, जो पिछले वर्ष के 77 प्रतिशत से अधिक है। पूर्वी क्षमता में असम, ओडिशा और बिहार जैसे राज्य शामिल हैं।

हालांकि, उत्तरी क्षेत्र में भंडारण स्तर में गिरावट दर्ज की गई। पूर्वी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान शामिल हैं। वर्तमान में इस क्षेत्र में कुल भंडारण क्षमता का केवल 68 प्रतिशत भरा हुआ है, जो पिछले वर्ष के 85 प्रतिशत और सामान्य भंडारण 82 प्रतिशत के आंकड़े से कम है।

दक्षिणी क्षेत्र में तेज वृद्धि देखी गई है जहां जलाशयों में उनकी क्षमता का 86 प्रतिशत पानी भरा हुआ है जबकि पिछले वर्ष यह केवल 50 प्रतिशत था।

सीडब्ल्यूसी बुलेटिन में कहा गया है कि भारत में कई प्रमुख नदी बेसिन में सामान्य से बेहतर भंडारण स्तर हैं। इनमें गंगा, महानदी, गोदावरी और नर्मदा बेसिन उल्लेखनीय हैं। इसके विपरीत, सिंधु बेसिन में सामान्य की तुलना में कम भंडारण दर्ज किया गया। हालांकि कोई भी बेसिन ‘‘अत्यधिक कमी’’ वाली श्रेणी में नहीं आया।

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