चालू वित्त वर्ष में 100 अरब डॉलर को पार कर सकता है भारत का कच्चे तेल का आयात बिल
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Wikimedia Common/IANS)

नयी दिल्ली, 27 फरवरी : भारत का कच्चे तेल का आयात बिल चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 100 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है. यह पिछले वित्त वर्ष में कच्चे तेल के आयात पर हुए खर्च का लगभग दोगुना होगा. इसकी वजह है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें सात साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई हैं. पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 10 माह (अप्रैल-जनवरी) में भारत ने कच्चे तेल के आयात पर 94.3 अरब डॉलर खर्च किए हैं. अकेले जनवरी में कच्चे तेल के आयात पर 11.6 अरब डॉलर खर्च हुए हैं. पिछले साल जनवरी में भारत ने कच्चे तेल के आयात पर 7.7 अरब डॉलर खर्च किए थे.

फरवरी में कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गईं. ऐसे में अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक भारत का तेल आयात बिल दोगुना होकर 110 से 115 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा. भारत अपने कच्चे तेल की 85 प्रतिशत जरूरत को आयात से पूरा करता हूं. आयातित कच्चे तेल को तेल रिफाइनरियों में वाहनों और अन्य प्रयोगकर्ताओं के लिए पेट्रोल और डीजल जैसे मूल्यवर्धित उत्पादों में बदला जाता है. भारत के पास अतिरिक्त शोधन क्षमता है और यह कुछ पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करता है लेकिन रसोई गैस यानी एलपीजी का उत्पादन यहां कम है, जिसे सऊदी अरब जैसे देशों से आयात किया जाता है. वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 10 माह अप्रैल-जनवरी में पेट्रोलियम उत्पादों का आयात 3.36 करोड़ टन या 19.9 अरब डॉलर रहा है. दूसरी ओर 33.4 अरब डॉलर के 5.11 करोड़ टन पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात किया गया.

भारत ने पिछले 2020-21 के वित्त वर्ष में 19.65 करोड़ टन कच्चे तेल के आयात पर 62.2 अरब डॉलर खर्च किए थे. उस समय कोविड-19 महामारी की वजह से वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें नीचे आई थीं. चालू वित्त वर्ष में भारत पहले ही 17.59 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात कर चुका है. महामारी से पहले वित्त वर्ष 2019-20 दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा आयातक और उपभोक्ता देश भारत ने 22.7 करोड़ टन कच्चे तेल के आयात पर 101.4 अरब डॉलर खर्च किए थे. इस बीच, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ब्रेंट स्पॉट के दाम सात साल के उच्चस्तर 105.58 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए थे. यह भी पढ़ें : Manipur Elections: JDU उम्मीदवार को अज्ञात लोगों ने मारी गोली, मां ने कहा- राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण बनाया निशाना

हालांकि, पश्चिमी देशों ने रूस पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, ऊर्जा को उनसे बाहर रखा गया है, जिससे तेल के दाम घटकर 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गए. कच्चे तेल के ऊंचे आयात की वजह से वृहद आर्थिक संभावनाएं प्रभावित होती हैं. घरेलू उत्पादन में लगातार गिरावट की वजह से भारत की आयात पर निर्भरता बढ़ी है. देश में कच्चे तेल का उत्पादन 2019-20 में 3.05 करोड़ टन था, जो इसके अगले साल घटकर 2.91 करोड़ टन रह गया. चालू वित्त वर्ष के पहले 10 माह में भारत का कच्चे तेल का उत्पादन 2.38 करोड़ टन रहा है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 2.44 करोड़ टन रहा था.