भारतीय-अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने कहा, ‘मुझे कमला हैरिस पर गर्व है’

अमेरिका के चुनावी इतिहास में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की सबसे बुरी हार के बाद भारतीय अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने बुधवार को कहा कि उन्हें उपराष्ट्रपति पर गर्व है और एक दिन अमेरिका के लोग उन्हें प्रेरक के तौर पर देखेंगे.

वाशिंगटन, 7 नवंबर : अमेरिका के चुनावी इतिहास में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की सबसे बुरी हार के बाद भारतीय अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने बुधवार को कहा कि उन्हें उपराष्ट्रपति पर गर्व है और एक दिन अमेरिका के लोग उन्हें प्रेरक के तौर पर देखेंगे. डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार रहीं हैरिस (60) पांच नवंबर के आम चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के अपने प्रतिद्वंद्वी और अब राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप (78) से हार गईं. खन्ना (48) ने कहा, ‘‘आज मैं कहना चाहता हूं कि मुझे कमला हैरिस पर गर्व है.’’ अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में सिलिकॉन वैली का प्रतिनिधित्व करने वाले खन्ना को मंगलवार को लगातार पांचवीं बार फिर से चुना गया.

पेंसिल्वेनिया में पले-बढ़े खन्ना ने कहा, ‘‘बक्स काउंटी में पले-बढ़े एक बच्चे के रूप में मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक अफ्रीकी और भारतीय अमेरिकी महिला उम्मीदवार बनेगी और पेंसिल्वेनिया में 48 प्रतिशत वोट प्राप्त करेगी. रास्ता कठिन है, लेकिन एक दिन अमेरिका लेग उनसे प्रेरणा लेंगे उनके दिखाए राह पर चलेंगे.’’ खन्ना ने कहा कि सीनेट और प्रतिनिधि सभा के साथ ‘व्हाइट हाउस’ (अमेरिकी राष्ट्रपति का आधिकारिक कार्यालय एवं आवास) भी खो चुकी डेमोक्रेटिक पार्टी जल्द वापसी करेगी. वहीं, उद्यमी से राजनेता बने विवेक रामास्वामी ने बुधवार को राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप की वापसी को अमेरिका की वापसी बताया और कहा कि देश को इस समय एक कठोर निर्णय लेने वाले ‘कमांडर-इन-चीफ’ की जरूरत है. यह भी पढ़ें : डोनाल्ड ट्रंप की जीत से टेस्ला के शेयरों में उछाल, एलन मस्क की संपत्ति में 26.5 अरब डॉलर का इजाफा

राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल रहे रिपब्लिकन पार्टी के नेता रामास्वामी ने कहा, ‘‘यही कारण है कि डोनाल्ड ट्रंप आधुनिक इतिहास में किसी भी राष्ट्रपति के मुकाबले सबसे बड़े अंतर से जीते. वह कोई विचारक नहीं है. वह कोई नीति विशेषज्ञ नहीं है. वह समझौता नहीं करने वाले एक अमेरिकी है. उन्हें अयोग्य ठहराया गया, दो बार मारने की कोशिश की गई. इनमें से कोई भी काम नहीं आया. मीडिया में हमारे स्व-नियुक्त ‘श्रेष्ठ’ लोगों ने उन्हें गलत समझा, उन्हें कम आंका और संदेह किया.’’

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