पोर्ट लुई, 22 फरवरी भारत ने सोमवार को मॉरीशस को 10 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा (एलओसी) देने की घोषणा की। इसके जरिये मॉरीशस भारतीय रक्षा उपकरणों की खरीद कर सकेगा। साथ ही दोनों देशों ने ऐतिहासिक वृहद आर्थिक सहयोग भागीदारी करार पर हस्ताक्षर किए हैं।
मॉरीशस की यात्रा पर आए भारत के विदेश मंत्री जयशंकर और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के बीच बैठक के बाद दोनों देशों ने इस करार पर हस्ताक्षर किए।
जयशंकर दो देशों की अपनी यात्रा के अंतिम चरण में रविवार को मालदीव से मॉरीशस आए थे। विदेश मंत्री ने भारतीय मूल के प्रधानमंत्री के साथ वृहद और महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की।
प्रधानमंत्री जगन्नाथ के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारी बातचीत काफी रचनात्मक और आगे की सोच वाली रही। हमने आपसी संबंधों के सभी पहलुओं तथा विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा की।’’
भारत की सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और वृद्धि) नीति का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘‘आज एक विशेष 10 करोड़ डॉलर की रक्षा ऋण सुविधा पर भी हस्ताक्षर किए गए, जिससे आप अपनी सरकार की जरूरत के हिसाब से भारत से रक्षा परिसंपत्तियों की खरीद कर सकेंगे।’’
मॉरीशस हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का महत्वपूर्ण सामुद्रिक भागीदार है। प्रधानमंत्री के सागर दृष्टिकोण में मॉरीशस का विशेष स्थान है।
दोनों पक्षों ने एक अन्य करार पर भी हस्ताक्षर किए हैं जिसके जरिये मॉरीशस को डार्नियर विमान और एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर ध्रुव दो साल के लिए पट्टे पर मुफ्त उपलब्ध होगा।
जयशंकर ने इसे विशेष संबंधों में एक विशेष करार दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने मॉरीशस के साथ वृहद आर्थिक सहयोग एवं भागीदारी करार (सीईसीपीए) भी किया है।
उन्होंने कहा कि यह भारत का किसी अफ्रीकी देश के साथ ऐसा पहला करार है। इससे हमारी कोविड बाद की अर्थव्यवस्थाओं के पुनरुद्धार का मौका मिलेगा।
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