धर्मशाला (हिमाचल प्रदश), 16 सितंबर: बौद्ध आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत को अपना प्राचीन ज्ञान विश्व के साथ साझा करना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने सभी आध्यात्मिक परंपराओं को सम्मान देने के लिए देश के धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण की सराहना की. उनके कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार उन्होंने कहा, "हालांकि बुद्ध के समय से पूरी दुनिया में काफी बदलाव आया है, लेकिन उनके उपदेश का सार आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना 2500 साल पहले था. बुद्ध की सलाह बस इतनी ही है कि दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचाएं और हरसंभव तरीके से लोगों की मदद करें."
बौद्ध आध्यात्मिक नेता ने कहा कि भारतीय हमारे गुरु थे, लेकिन अब समय आ गया है कि भारत अपने ज्ञान को शेष विश्व के साथ साझा करे. नोबेल पुरस्कार से सम्मानित दलाई लामा ने सभी आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मान करने की भारतीय परंपरा की सराहना करते हुए कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान को धर्मनिरपेक्ष और अकादमिक तरीके से पेश करना जरूरी है.
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बौद्ध धर्म को भारत से जोड़ते हुए दलाई लामा ने कहा, "जब मैं पहली बार भारत आया, तो मैंने इस देश और अपनी मातृभूमि तिब्बत के बीच के घनिष्ठ संबंधों पर गौर किया. जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने कहा है, भारत बुद्ध की भूमि है. बौद्ध धर्म का अंतिम उद्देश्य मानवता की सेवा करना है.’’