विदेश की खबरें | भारत ने यूएनएचआरसी में कश्मीर मुद्दा उठाने के लिए पाकिस्तान को फटकार लगाई
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा, 29 फरवरी भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाने के बाद पाकिस्तान को फटकार लगाई और कहा कि वह ऐसे किसी देश पर ध्यान नहीं दे सकता जिसके हाथ दुनियाभर में प्रायोजित आतंकवाद के खून-खराबे के कारण ‘लाल’ हैं।

जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव अनुपमा सिंह ने बुधवार को यूएनएचआरसी के 55वें नियमित सत्र के उच्‍चस्‍तरीय हिस्से में उत्तर देने के अधिकार का इस्तेमाल किया।

उच्च-स्तरीय खंड में दोनों देशों द्वारा अपने बयानों में कश्मीर का संदर्भ दिए जाने के बाद भारत ने तुर्किये और पाकिस्तान को जवाब देने के लिए उत्तर के अधिकार का इस्तेमाल किया।

सिंह ने कहा, ‘‘सबसे पहले, हमें तुर्किये द्वारा एक ऐसे मामले पर की गई टिप्पणी को लेकर खेद है जो भारत का आंतरिक मामला है और हम उम्मीद करते हैं कि वह भविष्य में हमारे आंतरिक मामलों पर अवांछित टिप्पणी करने से बचेगा।’’

पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए भारत ने कहा, ‘‘हम उस देश पर ध्यान नहीं दे सकते जिसके हाथ दुनियाभर में प्रायोजित आतंकवाद के खून-खराबे के कारण ‘लाल’ हैं। इसके अपने ही लोगों को शर्मिंदगी महसूस होती है कि उनकी सरकार उनके वास्तविक हितों को पूरा करने में विफल रही है।’’

उन्होंने पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) प्रमुख मसूद अजहर जैसे आतंकी सरगनाओं के स्पष्ट संदर्भ में कहा, ‘‘एक ऐसा देश जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा घोषित आतंकवादियों को पनाह देता है, उसका भारत पर टिप्पणी करना जिसका बहुलवादी लोकाचार और लोकतांत्रिक साख दुनिया के लिए एक मिसाल हैं, हर किसी के लिए एक विरोधाभास है।’’

भारत के ‘‘व्यापक संदर्भों’’ के लिए पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए सिंह ने कहा कि परिषद के मंच का इस्तेमाल एक बार फिर भारत के खिलाफ झूठे आरोप लगाने के लिए किया जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

सिंह ने कहा, ‘‘हम जवाब देने के लिए बाध्य हैं।’’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समूचा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा हैं और केंद्रशासित जम्मू कश्मीर में सामाजिक और आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने संवैधानिक उपाय किए हैं और ये भारत के आंतरिक मामले हैं और इनमें किसी का भी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों पर कुछ भी कहने का अधिकार नहीं है।

सिंह ने कहा कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसने अपने ही अल्पसंख्यकों के प्रणालीगत उत्पीड़न को संस्थागत बना दिया है और इसका मानवाधिकार रिकॉर्ड वास्तव में बेहद खराब है।

उन्होंने कहा, ‘‘आर्थिक प्रगति और सामाजिक न्याय हासिल करने में उल्लेखनीय प्रगति करने वाले भारत पर टिप्पणी करना न केवल विडंबनापूर्ण है, बल्कि विकृत भी है।’’

उन्होंने अगस्त, 2023 में पाकिस्तान के जरनवाला शहर में अल्पसंख्यक ईसाई समुदायों के खिलाफ बड़े पैमाने पर की गई हिंसा की उस घटना का भी जिक्र किया जिसमें 19 चर्च और ईसाई समुदाय के 89 मकान जला दिये गये थे।

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