मुंबई, 6 अक्टूबर : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा है. केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि भारत दुनिया की वृद्धि का इंजन बनने के लिए तैयार है. दास ने रिजर्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की धीमी पड़ती रफ्तार के बीच घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत मांग होने से जुझारू क्षमता दिखा रही है. आरबीआई गवर्नर ने कौटिल्य के महान ग्रंथ ‘अर्थशास्त्र’ को उद्धृत करते हुए कहा कि देश की प्रगति के लिए वृहद-आर्थिक स्थिरता और समावेशी विकास बुनियादी तत्व हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में कई तरह के और अप्रत्याशित झटकों से निपटने के लिए हमने जिस तरह का नीतिगत मेल किया है, उसने वृहद-आर्थिक एवं वित्तीय स्थिरता को मजबूती दी है.’’ उन्होंने कहा कि बाह्य क्षेत्र भी काफी हद तक प्रबंधन के लायक बना हुआ है। उन्होंने कहा कि दशक भर पहले के दोहरे बहीखाते के दबाव की जगह अब दोहरे बहीखाते के लाभ की स्थिति है जिसमें बैंकों एवं कंपनियों दोनों के खाते मजबूत हैं. उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था इस समय कठिन वित्तीय परिस्थितियों, भू-राजनीतिक तनाव लंबा खिंचने और बढ़ते भू-आर्थिक विखंडन के असर से सुस्त पड़ रही है.
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘‘वैश्विक रुझानों के उलट घरेलू आर्थिक गतिविधियां जुझारूपन को दर्शाती हैं जो मजबूत घरेलू मांग से आती है। भारत दुनिया की वृद्धि का नया इंजन बनने के लिए तैयार है.’’ दास ने कहा कि भू-राजनीतिक दबाव, वित्तीय बाजारों एवं ईंधन कीमतों में उतार-चढ़ाव और जलवायु संबंधी घटनाएं वृद्धि परिदृश्य के लिए जोखिम पैदा करती हैं. इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने का अनुमान रखा है. आरबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में छह प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इन तिमाहियों में जोखिम को समान रूप से ध्यान में रखते हुए समूचे वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
वहीं अगले वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में वास्तविक वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रह सकती है. इसके पहले अगस्त की समीक्षा बैठक में भी आरबीआई ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 6.5 प्रतिशत वृद्धि का ही अनुमान जताया था. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिवेश में भी आगे बढ़ रही है और अपनी अंतर्निहित वृहद-आर्थिक बुनियाद और अन्य समर्थक बिंदुओं से ताकत हासिल कर रही है. हालांकि, दास ने कहा कि जुलाई-सितंबर की तिमाही में कुछ खाद्य उत्पादों की कीमतें बढ़ने से मुद्रास्फीति में गिरावट के रुझान पर असर देखा गया है. आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा है.
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