मुंबई, 16 जून वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच भारत निम्न आर्थिक वृद्धि के साथ ऊंची मुद्रास्फीति की संभावित स्थिति (स्टैगफ्लेशन) से निपटने के लिये अन्य देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक लेख में यह कहा गया है।
आरबीआई के जून बुलेटिन में प्रकाशित लेख में यह भी कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक स्थिति लगातार खराब हो रही है। जिंसों के ऊंचे दाम और वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव से अनिश्चितता बढ़ी है।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबव्रत पात्रा ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच भारत निम्न आर्थिक वृद्धि के साथ ऊंची मुद्रास्फीति की संभावित स्थिति से निपटने के लिये अन्य देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है।’’
लेख में कहा गया है कि जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में शामिल अधिकतर कारक महामारी-पूर्व स्तर को पार करने के साथ घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत हो रही हैं। मई के मुद्रास्फीति आंकड़ों ने कुछ राहत दी है। इसमें सात महीने की निरंतर वृद्धि के बाद गिरावट दर्ज की गयी है।
केंद्रीय बैंक ने हालांकि कहा कि लेख में कही गयी बातें लेखकों के विचार हैं और कोई जरूरी नहीं है कि वे आरबीआई की सोच के अनुरूप हो।
लेख के अनुसार, देश की आर्थिक वृद्धि दर 2021-22 में 8.7 प्रतिशत रही। इसके साथ यह महामारी-पूर्व स्तर (2019-20) को पार कर गई है। इतना ही नहीं वित्त वर्ष 2022-23 में अबतक पुनरुद्धार मजबूत बना हुआ है।
आरबीआई बुलेटिन में लिखा गया है, ‘‘पुनरुद्धार कुल मिलाकर पटरी पर है। यह मौजूदा प्रतिकूल स्थिति में अर्थव्यवस्था की मजबूती को बताता है...।’’
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