देश की खबरें | भारत, यूरोपीय संघ ने एफटीए वार्ता की समीक्षा की; यूक्रेन में स्थायी शांति की आवश्यकता पर बल दिया

नयी दिल्ली, 27 नवंबर भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) ने तीन बैठक कर द्विपक्षीय सहयोग का व्यापक मूल्यांकन किया, एफटीए वार्ता की समीक्षा की और यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत एवं स्थायी शांति की आवश्यकता को रेखांकित किया।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और ईयू ने स्वतंत्र, खुले, समावेशी, शांतिपूर्ण और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता दोहराई तथा भारत ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यूरोपीय संघ की ‘‘बढ़ती भागीदारी’’ का स्वागत किया।

भारत और यूरोपीय संघ ने 22 नवंबर को ब्रुसेल्स में पांचवीं रणनीतिक साझेदारी समीक्षा बैठक आयोजित की। भारतीय पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने किया तथा यूरोपीय संघ पक्ष का नेतृत्व यूरोपीय बाह्य कार्रवाई सेवा (ईईएएस) में आर्थिक एवं वैश्विक मुद्दों के लिए उप महासचिव साइमन मोर्ड्यू ने किया।

दसवीं भारत-यूरोपीय संघ विदेश नीति एवं सुरक्षा परामर्श तथा दसवीं भारत-यूरोपीय संघ ऊर्जा समिति की बैठक भी 21 नवंबर को आयोजित की गई थी।

लाल ने ईईएएस के महासचिव स्टेफानो सैनिनो से भी मुलाकात की।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ये बैठकें भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी की 20वीं वर्षगांठ के मौके पर तथा भारत और यूरोपीय संघ तथा उसके सदस्य देशों के बीच बढ़ते संबंधों की पृष्ठभूमि में आयोजित की गईं।

बयान में कहा गया कि बैठकों में भारत और यूरोपीय संघ के बीच द्विपक्षीय सहयोग का व्यापक मूल्यांकन किया गया।

इसमें कहा गया, ‘‘2024-2029 के लिए राजनीतिक दिशा-निर्देशों में एक नया भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक एजेंडा विकसित करने के लिए राष्ट्रपति वॉन डेर लेयेन की प्रतिबद्धता का स्वागत किया गया।’’

विदेश मंत्रालय ने कहा कि बैठक के दौरान आर्थिक सुरक्षा, हरित परिवर्तन, रक्षा और सुरक्षा सहयोग, प्रवासन, भारत-यूरोपीय संघ संपर्क भागीदारी, और आईएमईसी (भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा) समेत व्यापक विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाने और शिक्षा तथा अनुसंधान में लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के अवसरों पर भी चर्चा की।

उन्होंने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए), निवेश संरक्षण समझौते और भौगोलिक संकेतकों पर समझौते के लिए जारी वार्ता की समीक्षा की और उनके महत्व पर सहमति व्यक्त की।

बयान में कहा गया, ‘‘उन्होंने पश्चिम एशिया की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की तथा शांति एवं स्थिरता की शीघ्र बहाली की आवश्यकता पर बल दिया।’’

दोनों पक्षों ने वैश्विक चुनौतियों से निपटने में भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी के महत्व को भी रेखांकित किया।

बयान में कहा गया, ‘‘उन्होंने स्वतंत्र, खुले, समावेशी, शांतिपूर्ण और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता दोहराई। भारत ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यूरोपीय संघ की बढ़ती भागीदारी का स्वागत किया।’’

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