देश की खबरें | भारत, चीन ने पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध पर एक और दौर की वार्ता की
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नयी दिल्ली, 30 सितंबर भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में करीब पांच महीने से जारी सीमा गतिरोध दूर करने के लिये दोनों के बीच बनी पांच सूत्री सहमति के क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित करते हुए बुधवार को एक और दौर की वार्ता की।
सीमा मामलों पर परामर्श एवं समन्वयन के लिये कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के ढांचे के तहत यह डिजिटल वार्ता हुई।
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि वार्ता के केंद्र में तनाव घटाने का विषय रहा। भारत और चीन ने 10 सितंबर को मास्को में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बनी पांच सूत्री सहमति के क्रियान्वयन के तरीकों पर चर्चा की।
बीजिंग में, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने संवाददाताओं से कहा कि दोनों देश चीन-भारत सीमा मामलों पर डब्ल्यूएमसीसी की 19 वीं बैठक कर रहे हैं।
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उन्होंने बताया कि जमीन पर लंबित मुद्दों के हल के लिये दोनों विदेश मंत्रियों के बीच मास्को में बनी पांच सूत्री सहमति के क्रियान्वयन और सीमा पर तनाव घटाने के विषय पर वार्ता में मुख्य रूप से चर्चा की गई।
उल्लेखनीय है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से अलग अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी।
दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव की ताजा घटनाओं से पूर्वी लद्दाख में स्थिति बिगड़ने के मद्देनजर यह बैठक हुई थी।
बैठक में दोनों पक्ष पांच सूत्री सहमति पर पहुंचे थे, जिनमें सैनिकों को शीघ्रता से पीछे हटाना, तनाव बढ़ाने वाली गतिविधियों से दूर रहना, सीमा प्रबंधन पर सभी समझौतों एवं प्रोटोकॉल का पालन करना तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बहाल करने के लिये कदम उठाना शामिल हैं।
बुधवार की वार्ता एलएसी की अवधारणा पर दोनों पक्षों के बीच जुबानी जंग के बीच हुई।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने हाल ही में जोर देते हुए कहा था कि चीन तत्कालीन प्रधानमंत्री चाउ एनलाई द्वारा भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सात नवंबर 1959 के एक पत्र में प्रस्ताव किये गये एलएसी का पालन करता है।
वहीं, भारत ने मंगलवार को कहा था कि उसने 1959 में ‘‘एकतरफा रूप से’’ परिभाषित तथाकथित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को कभी स्वीकार नहीं किया है और चीनी पक्ष सहित सभी इस बारे में जानते हैं।
विदेश मंत्रालय ने यह उम्मीद भी व्यक्त की थी कि पड़ोसी देश तथाकथित सीमा की ‘‘अपुष्ट एकतरफा’’ व्याख्या करने से बचेगा।
मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने मुद्दे पर मीडिया के एक सवाल के जवाब में कहा था, ‘‘भारत ने कभी भी 1959 में एकतरफा रूप से परिभाषित तथाकथित वास्तविक नियंत्रण रेखा को स्वीकार नहीं किया है। यही स्थिति बरकरार रही है और चीनी पक्ष सहित सभी इस बारे में जानते हैं।’’
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