नई दिल्ली, 23 मार्च: भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के सिंधु आयोग के आयुक्तों की दो दिवसीय वार्षिक बैठक की शुरुआत मंगलवार को यहां हुई. इसमें पाकिस्तान द्वारा चेनाब नदी (Chenab River) पर भारत की ओर से स्थापित की जा रही जल विद्युत परियोजना पर आपत्ति सहित कई मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद है. स्थायी सिंध जल आयोग की यह वार्षिक बैठक दो साल बाद हो रही है.
बैठक में शामिल हुए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पीके सक्सेना कर रहे हैं और इसमें केंद्रीय जल आयोग, केंद्रीय बिजली प्राधिकरण एवं राष्ट्रीय जल विद्युत ऊर्जा निगम के उनके सलाहकार शामिल हैं.
पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सिंधु आयोग (पाकिस्तान) के आयुक्त सैयद मुहम्मद मेहर अली शाह कर रहे हैं. पाकिस्तानी प्रतिधिनिमंडल सोमवार शाम को यहां पहुंचा. मंगलवार को शुरू हुई दो दिवसीय वार्ता में उम्मीद है कि पाकिस्तान चेनाब नदी पर भारत द्वारा स्थापित की जा रही जलविद्युत परियोजना की डिजाइन पर आपत्ति दर्ज करेगा जिसका पानी सिंधु जल समझौते के तहत पाकिस्तान को आवंटित किया गया है.
वर्ष 2019 के अगस्त में भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मी को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 को निष्क्रिय करने एवं राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में बांटने के बाद दोनों आयोगों की यह पहली बैठक हो रही है.
भारत ने इसके बाद से इलाके में कई पनबिजली परियोजनाओं को मंजूरी दी है. इनमें लेह क्षेत्र में दुरबुक श्योक (19 मेगावाट क्षमता), शांकू (18.5 मेगावाट क्षमता), नीमू चिलिंग (24 मेगावाट क्षमता), रोंगदो(12 मेगावाट क्षमता), रत्न नाग (10.5 मेगावाट क्षमता) और कारगिल में मांगदम सांगरा (19 मेगावाट क्षमता), कारगिल हंडरमैन (25 मेगावाट क्षमता) व तमाश (12 मेगावाट क्षमता) परियोजना शामिल है.
भारत ने इस परियोजनाओं की जानकारी पाकिस्तान को दी है और इस बैठक में इनपर चर्चा होने की उम्मीद है. बैठक से पहले सक्सेना ने कहा, ‘‘भारत समझौते तक अपने हिस्से के पानी का पूरा इस्तेमाल करने को प्रतिबद्ध है और किसी मुद्दे का चर्चा एवं आमसहमति से हल पर विश्वास करता है.’’
उल्लेखनीय है कि सिंधु जल समझौते में दोनों देशों के आयोगों की साल में कम से कम एक बार बैठक करने का प्रावधान है. यह बैठक बारी-बारी से भारत और पाकिस्तान में होती है. हालांकि, पिछले साल मार्च में नई दिल्ली में होने वाली बैठक कोविड-19 महामारी की वजह से स्थगित कर दी गई थी.
भारत ने जुलाई 2020 में कोविड-19 महामारी के चलते सिंधु जल समझौते से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के लिए ऑनलाइन बैठक करने का प्रस्ताव किया था लेकिन पाकिस्तान ने बैठक अटारी सीमा चौकी पर करने पर जोर दिया जिसे भारत ने महामारी के मद्देनजर अस्वीकार कर दिया था. सिंधु जल आयोग की पिछली बैठक वर्ष 2018 में लाहौर में हुई थी.
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1960 में हुए सिंधु जल समझौते के तहत सतलुज ब्यास एवं रावी नदी का पानी भारत को मिला जबकि सिंधु, झेलम एवं चेनाब का पानी पाकिस्तान को मिला.