नयी दिल्ली, पांच अप्रैल भारत और जापान बुधवार को समग्र रणनीतिक संबंध को मजबूत करने के उद्देश्य से अपने रक्षा सहयोग में नये और उभरते क्षेत्रों जैसे अंतरिक्ष एवं साइबर में विविधता लाने पर सहमत हुए।
रक्षा संबंधों को और विस्तार देने का निर्णय दिल्ली में हुए भारत-जापान रक्षा नीति संवाद के सातवें संस्करण में लिया गया।
वार्ता में, भारतीय पक्ष ने जापानी रक्षा उद्योगों को भारत में 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत निवेश के अवसरों पर गौर करने के लिए आमंत्रित किया।
यह रक्षा वार्ता जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के भारत दौरे के दो सप्ताह बाद हुई, जिस दौरान उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए देश को जापान का ‘‘अपरिहार्य भागीदार’’ करार दिया था।
संवाद की सह-अध्यक्षता रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने और जापान के अंतरराष्ट्रीय मामलों के उप रक्षा मंत्री ओका मसामी ने की।
रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘बैठक के दौरान अभ्यास और संबंधों, क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों और रक्षा उपकरण तथा प्रौद्योगिकी में सहयोग सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गई।’’
इसने कहा कि जापानी उप-मंत्री ने हाल ही में जारी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति और राष्ट्रीय रक्षा रणनीति संबंधी अद्यतन नीति प्रस्तुत की।
मंत्रालय ने कहा कि अरमाने ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को संबंधित रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग को गहरा करने का लक्ष्य रखना चाहिए।
बयान में कहा गया, ‘‘उन्होंने 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत भारत में निवेश के अवसरों को देखने के लिए जापानी रक्षा उद्योगों को आमंत्रित भी किया। दोनों पक्ष रक्षा क्षेत्र और साइबर जैसे नए और उभरते क्षेत्र में सहयोग में विविधता लाने पर सहमत हुए।"
मंत्रालय ने कहा, ‘‘उन्होंने इस साल जनवरी में जापान में भारतीय वायुसेना और जापानी वायु आत्मरक्षा बल के बीच पहले लड़ाकू अभ्यास 'वीर गार्जियन' के आयोजन का स्वागत किया।’’
रक्षा नीति संवाद द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर चर्चा करने के लिए भारत और जापान के बीच एक संस्थागत तंत्र है।
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