नयी दिल्ली, 28 मई गाजा में इजराइल और हमास के बीच 11 दिन तक चले संघर्ष के दौरान कथित उल्लंघनों एवं अपराधों की जांच शुरू करने के संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव पर वोट डालने से भारत समेत 14 देश अनुपस्थित रहे।
संयुक्त राष्ट्र निकाय के जिनेवा स्थित मुख्यालय में बृहस्पतिवार को बुलाए गए विशेष सत्र की समाप्ति पर यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया क्योंकि 24 देशों ने इसके पक्ष में वोट डाला जबकि नौ ने इसका विरोध किया।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने समूह के 13 अन्य सदस्य राष्ट्रों के साथ मतदान से खुद को अलग रखा। चीन और रूस ने इसके पक्ष में मतदान किया।
संयुक्त राष्ट्र निकाय ने एक बयान में कहा, “मानवाधिकार परिषद ने पूर्वी यरुशलम समेत कब्जा किए गए फलस्तीनी क्षेत्र और इजराइल में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के प्रति सम्मान सुनिश्चित करने पर आज दोपहर एक प्रस्ताव स्वीकार किया।”
परिषद का विशेष सत्र पूर्वी यरुशलम समेत फलस्तीनी क्षेत्र में “गंभीर मानवाधिकार स्थिति” पर चर्चा के लिए बुलाया गया था।
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के स्थायी प्रतिनिधि इंद्र मणि पांडे ने विशेष सत्र में कहा कि भारत गाजा में इजराइल और सशस्त्र समूह के बीच संघर्ष विराम में सहयोग देने वाले क्षेत्रीय देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कूटनीतिक प्रयासों का स्वागत करता है।
उन्होंने कहा, “भारत सभी पक्षों से अत्यधिक संयम बरतने और उन कदमों से गुरेज करने की अपील करता है जो तनाव बढ़ाते हों और एसे प्रयासों से परहेज करने को कहता है जो पूर्वी यरूशलम और उसके आस-पड़ोस के इलाकों में मौजूदा यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने के लिए हों।”
पांडे ने एक बयान में यरूशलम में जारी हिंसा पर भी चिंता व्यक्त की खासकर हरम अल शरीफ और अन्य फलस्तीनी क्षेत्रों में।
इजराइल और हमास दोनों ने संघर्षविराम पर सहमति जताई जो 11 दिनों की भीषण लड़ाई के बाद पिछले शुक्रवार से प्रभावी हुआ।
पांडे ने कहा कि भारत इस बात से पूरी तरह सहमत है कि क्षेत्र में उत्पन्न स्थितियों और वहां के लोगों की समस्याओं के प्रभावी समाधान के लिए वार्ता ही एकमात्र विकल्प है।
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