उत्तर प्रदेश, बिहार के लिये प्रवासी स्पेशल ट्रेनों की संख्या बढ़ने से पटरियों पर दबाव बढ़ा
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नयी दिल्ली, 24 मई उत्तर प्रदेश और बिहार के लिये प्रवासी स्पेशल ट्रेनों की मांग बढ़ने से रेलवे को श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को निर्धारित समय के अनुसार चलाने में संघर्ष करना पड़ रहा है, जिसके चलते उनके मार्ग में व्यापक स्तर पर बदलाव करना पड़ रहा है। साथ ही, इन ट्रेनों में यात्रा कर रहे श्रमिकों से भी शिकायतें मिल रही हैं।

रेलवे ने एक मई से 2,810 से अधिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं, जिसके जरिये 37 लाख से अधिक यात्रियों को ले जाया गया। उनमें से 80 प्रतिशत यात्री उत्तर प्रदेश और बिहार गये। इन राज्यों के लिये ज्यादातर ट्रेनें चलाये जाने के चलते पटरियों पर दबाव बढ़ गया।

इनमें से 1,301 ट्रेनें उत्तर प्रदेश के लिये थी, जबकि 973 ट्रेनें बिहार के लिये चलाई गई।

इस बीच, रविवार को एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सफर कर रहे साजिद नबी नाम के एक व्यक्ति ने अपनी समस्या बयां करने के लिये रेल मंत्री पीयूष गोयल को टैग कर ट्वीट किया, ‘‘हम चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन से उधमपुर जा रहे हैं...और सचमुच में हम भूखे हैं। हमें कहा गया था कि हमें इटारसी में भोजन दिया जाएगा, लेकिन हमारे भाग्य और प्रशासन की बदौलत, हमें कुछ नहीं मिला।’’

इसके एक घंटे के अंदर उसने फिर से ट्वीट कर कहा कि 26 घंटों से महिलाएं और बच्चे भूखे हैं।

ट्विटर पर पोस्ट कर गुहार लगाने के बाद भी उसे इटारसी और भोपाल में भोजन नहीं मिला और वह झांसी में यह मिलने की उम्मीद कर रहा है।

यह ट्रेन चेन्नई से 23 मई को शाम साढ़े पांच बजे खुली थी और इसका गंतव्य तक पहुंचना बाकी है।

तमिलनाडु से बिहार के लिये रवाना हुई एक अन्य ट्रेन को समस्तीपुर पहुंचने में 68 घंटे का वक्त लगा और इसमें सवार श्रमिक एवं छात्रों ने दावा किया कि उन्हें रेलवे की ओर से भोजन और पानी नहीं मिला।

रेलवे ने एक बयान में कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में ज्यादातर गंतव्य लखनऊ-गोरखपुर सेक्टर के आसपास के हैं। बिहार में, गंतव्य पटना के आसपास के हैं। शनिवार को 565 ट्रेनों ने अपनी यात्रा शुरू की, जिनमें 266 ट्रेनें बिहार और 172 ट्रेनें उत्तर प्रदेश जा रही हैं।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘इन गंतव्यों के लिये ट्रेनों की संख्या अत्यधिक बढ़ने के चलते वहां जाने वाले रेल मार्गों पर भीड़भाड़ बढ़ गई। साथ ही, स्टेशनों पर स्वास्थ्य एवं सामाजिक दूरी के विभिन्न नियमों के चलते यात्रियों के ट्रेनों से उतरने में लगने वाला वक्त भी बढ़ा, जिसके चलते टर्मिनल पर भीड़ बढ़ी और इससे पटरियों पर दबाव और अधिक बढ़ गया।’’

उत्तर प्रदेश के बरेली जाने वाली एक प्रवासी स्पेशल ट्रेन के बिहार के मुजफ्फरपुर पहुंच जाने की खबरों के बाद यह बयान आया है।

मुंबई से 21 मई को एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन, जो गोरखपुर के लिये रवाना हुई थी और उसे 25 घंटे में गंतव्य पहुंच जाना था लेकिन वह ओडिशा के राउरकेला पहुंच गई और फिर उसे वहां से अपने मूल गंतव्य स्टेशन के लिये रवाना करना पड़ा। इसमें ट्रेन को काफी लंबा वक्त लगा और उसे कई राज्यों से गुजरना पड़ा।

अधिकारियों ने बताया कि इन मार्गों पर ट्रेनों की इतनी भीड़ है कि उन पर ट्रेनें चलाने में दिक्कत हो रही है और गोरखपुर-गोंडा- लखनऊ जैसे मार्ग पूरी तरह से ट्रेनों से भर गये हैं।

रेलवे ने कहा कि पटरियों पर दबाव घटाने के लिये कुछ ट्रेनों को मथुरा, झारसुगुडा के रास्ते भेजा गया है। मार्ग को तर्कसंगत बनाने का भी आदेश दिया गया है, ताकि उन पर भीड़भाड़ कम की जा सके। रेलवे बोर्ड के स्तर पर, जोनल रेलवे स्तर पर और डिविजनल स्तर पर चौबीसों घंटे निगरानी की जा रही है, ताकि ट्रेनें देर ना हों।

रेलवे ने कहा कि ट्रेन का परिचालन करने वाले कर्मचारी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जा रहा है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनें अपने निर्धारित समय से चलें। इन कोशिशों से पटरियों पर दबाव काफी कम हुआ और ट्रेनों का आवागमन बहुत बेहतर हुआ है।

रेल नेटवर्क में भीड़भाड़ बढ़ने से ट्रेनों के विलंब होने पर भोजन वितरण कार्यक्रम भी प्रभावित हो रहा है। इसके चलते हजारों यात्री भूखे-प्यासे रह जाते हैं। प्रवासी यात्रियों को परोसे जाने वाले भोजन को लेकर कई रेलवे स्टेशनों से यात्रियों के प्रदर्शन करने की भी खबरें हैं।

इस बीच, रेलवे ने कहा कि उसने एक मई से 2,818 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से लगभग 37 लाख प्रवासी श्रमिकों को उनके राज्यों में गंतव्य तक पहुंचाया है। आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।

रेलवे ने कहा कि 565 ट्रेनें अभी रास्ते में हैं, जबकि 2,253 ट्रेनें अपने-अपने गंतव्य तक पहुंच गई हैं।

श्रमिक स्पेशल ट्रेन मुख्य रूप से राज्यों के अनुरोध पर चलाई जा रही है।

रेलवे के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक सर्वाधिक 1,301 ट्रेनें उत्तर प्रदेश के लिये चलाई गई। वहीं, बिहार के लिए 973, झारखंड के लिए 144 और मध्य प्रदेश के लिये 166 ट्रेनें चलाई गईं।

गुजरात से सर्वाधिक 808 ट्रेनें चलाई गईं, वहीं महाराष्ट्र से 517 और पंजाब से 308 ट्रेनें विभिन्न राज्यों के लिये चलाई गईं।

रेलवे ने प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्य पहुंचाने के लिये एक मई को प्रवासी स्पेशल ट्रेनें शुरू की थीं।

रेलवे ने पिछले चार दिनों में प्रतिदिन औसतन 260 ट्रेनें चलाई और करीब तीन लाख यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाया।

रेलमंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2,800 से भी अधिक श्रमिक ट्रेनों का परिचालन कर भारतीय रेल लाखों श्रमिक बंधुओं को उनके गृह राज्य पहुंचा चुकी है और रेलवे अगले 10 दिनों में ऐसी ही 2,600 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने जा रहा है।’’

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