नयी दिल्ली, तीन दिसंबर सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा को सूचित किया कि पिछले दो साल में उपभोक्ता आयोगों में खाद्य एवं पेय पदार्थ श्रेणी के तहत 533 शिकायतें दर्ज की गई हैं।
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की स्थापना 2008 में मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों के लिए विज्ञान आधारित मानक निर्धारित करने तथा मानव उपभोग के लिए सुरक्षित एवं पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने की खातिर उनके निर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री आदि के विनियमन के लिए की गई थी।
खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में घटिया भोजन, गलत ब्रांड वाले भोजन और असुरक्षित भोजन के संबंध में दंडात्मक कार्रवाई के लिए विशिष्ट प्रावधान शामिल हैं।
मंत्री ने कहा, "भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण अपने क्षेत्रीय कार्यालयों और राज्यों के माध्यम से दूध, दुग्ध उत्पादों और शिशु आहार सहित खाद्य उत्पादों की नियमित निगरानी, निरीक्षण करता है।’’
उन्होंने कहा, "जिन मामलों में खाद्य नमूने मानकों के अनुरूप नहीं पाए जाते हैं, खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, नियमों और विनियमों के प्रावधानों के अनुसार दोषी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाती है।"
वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 90 और 91 में मिलावटी या नकली उत्पाद बेचने या भंडारण करने पर सजा का प्रावधान है।
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