देश की खबरें | यदि केवल संसद ही एसईबीसी सूची बना सकती है तो मराठा आरक्षण राज्य की विधायी क्षमता से बाहर : न्यायालय

नयी दिल्ली, 16 मार्च उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि यदि इस दलील को मान लिया जाए कि संविधान के 102वें संशोधन के बाद केवल संसद ही एसईबीसी की ‘‘केंद्रीय’’ सूची बना सकती है तो मराठाओं को आरक्षण देने वाले महाराष्ट्र कानून को पारित नहीं किया जा सकता क्योंकि यह राज्य की विधायी क्षमता से बाहर होगा।

मराठा आरक्षण का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं ने न्यायमूर्ति अशोक भूषण के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ को बताया कि संवैधानिक संशोधन के बाद केवल राष्ट्रपति ही सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) का निर्धारण कर सकते हैं।

पीठ में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट भी शामिल हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सांकृत्यायन ने पीठ से कहा कि संशोधन के बाद यदि संविधान मराठाओं के लिए आरक्षण के द्वार नहीं खोलता तो राज्य खुद इसकी खिड़की नहीं खोल सकता।

पीठ ने इसपर कहा कि यदि इस दलील को मान लिया जाए तो यह कानून (महाराष्ट्र कानून) पारित नहीं किया जा सकता क्योंकि यह राज्य की विधायी क्षमता से बाहर होगा।

सुनवाई बेनतीजा रही और यह बुधवार को जारी रहेगी।

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