मुंबई, 12 जुलाई नवी मुंबई पुलिस ने महाराष्ट्र सरकार को बताया कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की विवादास्पद परिवीक्षाधीन अधिकारी पूजा खेडकर ने चोरी के एक आरोपी को रिहा करने के लिए डीसीपी-रैंक के एक अधिकारी पर दबाव बनाने की कथित तौर पर कोशिश की थी। एक पुलिस अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
पनवेल पुलिस थाने में 18 मई को खेडकर ने पुलिस उपायुक्त विवेक पानसरे को कथित तौर पर फोन कर चोरी के मामले में गिरफ्तार ट्रांसपोर्टर ईश्वर उत्तरवाड़े को रिहा करने का आग्रह किया था।
अधिकारी ने बताया कि खेडकर ने डीसीपी से कहा कि उत्तरवाडे निर्दोष हैं और उनके खिलाफ मामूली आरोप हैं।
अधिकारी ने कहा कि हालांकि खेडकर ने पानसरे को सिर्फ फोन पर अपनी पहचान बताई थी, लेकिन डीसीपी इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं थे कि फोन करने वाला सचमुच आईएएस अधिकारी है या फिर खुद को आईएएस बता रहा कोई धोखेबाज है।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने फोन पर कोई कोई कदम नहीं उठाया और कथित अपराध के लिए उत्तरवाडे अभी भी न्यायिक हिरासत में है।
खेड़कर हाल ही में तब सुर्खियों में आईं जब प्रशिक्षण पूरा होने से पहले ही अलग केबिन और कर्मचारी जैसी मांगों को लेकर विवाद खड़ा करने पर उन्हें पुणे से वाशिम जिले में स्थानांतरित कर दिया गया था।
अधिकारी ने कहा कि 32 वर्षीय परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी के आचरण के बारे में जानने के बाद नवी मुंबई पुलिस ने पुणे कलेक्टर कार्यालय और गृह विभाग के एक वरिष्ठ कर्मचारी से संपर्क किया।
उन्होंने कहा कि गृह विभाग के अधिकारी की सलाह पर डीसीपी पानसरे ने नवी मुंबई पुलिस आयुक्त मिलिंद भारम्बे के माध्यम से मुख्य सचिव सुजाता सौनिक (गृह विभाग, अतिरिक्त प्रभार) को कथित फोन कॉल के बारे में दो पन्नों की रिपोर्ट भेजी।
पुणे कलेक्टर कार्यालय में किए गए आचरण के अलावा खेडकर पर यह भी आरोप हैं कि उन्होंने प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक सेवाओं (आईएएस) में एक पद हासिल करने के लिए दिव्यांगता प्रावधान और अन्य पिछड़ा वर्ग कोटा का दुरुपयोग किया।
इस बीच, एक बयान में केंद्र ने कहा कि खेडकर के विवरणों के दावों को सत्यापित करने के लिए एक अतिरिक्त सचिव-रैंक अधिकारी द्वारा जांच की जाएगी।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)