श्रीनगर, 20 सितम्बर हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता मीरवाइज उमर फारूक ने दावा किया है कि उन्हें लगातार तीसरे शुक्रवार को नजरबंद रखा गया, जिससे वह अपने धार्मिक कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर सके।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के एक निजी टीवी समाचार चैनल पर दिए गए दावे को भी "हैरान करने वाला" बताया कि हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता एक आजाद व्यक्ति हैं और जहां चाहें जा सकते हैं।
मीरवाइज ने शुक्रवार को कहा, "आजादी के मेरे मौलिक अधिकार के उल्लंघन का कोई कारण नहीं बताया गया है। इसे निजी तौर पर लागू किया जाता है और सार्वजनिक रूप से नकार दिया जाता है। किसी भी आगंतुक, विशेषकर मीडिया को मुझसे मिलने की इजाजत नहीं है।"
अलगाववादी नेता ने आरोप लगाया कि "बार-बार नजरबंदी" के कारण मीरवाइज (मुख्य मौलवी) के रूप में उनके दायित्व और उनके सामाजिक-शैक्षणिक कार्यक्रम प्रभावित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वह नजरबंदी से स्थायी रिहाई की मांग को लेकर चल रहे मुकदमे के संबंध में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के समक्ष जवाब दाखिल करेंगे।
मीरवाइज ने जम्मू-कश्मीर के पहले मुस्लिम आईएएस अधिकारी मोहम्मद शफी पंडित के निधन पर शोक व्यक्त किया, जिनका बृहस्पतिवार को निधन हो गया था।
साल 2009 में जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त होने वाले पंडित का कैंसर के इलाज के दौरान दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया।
उमर फारूक ने कहा, "शफी साहब एक प्रगतिशील नौकरशाह थे, जिनके लिए जम्मू-कश्मीर के लोगों का कल्याण पूरे करियर में प्रेरणास्रोत रहा। अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी, वह परोपकारी और सामाजिक पहलों के माध्यम से समाज की सेवा करते रहे। ऐसे लोग समाज के लिए एक संपत्ति होते हैं और इसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।"
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)