विदेश की खबरें | प्रकृति को बांधे रखने वाले बूढ़े और बुद्धिमान जानवरों को मार रहे मानव, जानें क्या बदलना जरूरी
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

सिडनी, 24 नवंबर (द कन्वरसेशन) मानवों और अन्य जानवरों में उम्र के बढ़ने को आमतौर पर जैविक गतिविधियों में कमी से जोड़ कर देखा जाता है लेकिन वैज्ञानिकों ने अब पता लगाया है कि बूढ़े जानवर आबादी और पारिस्थितिकी तंत्र में अहम भूमिका निभाते हैं।

दुर्भाग्य से बूढ़े जानवर ही इंसानी गतिविधियों का अधिक शिकार होते हैं, जिसमें तस्करी और शिकार दोनों शामिल हैं। और बूढ़े व बुद्धिमान जानवरों को तब महत्व नहीं दिया जाता जब हम जानवरों की आबादी को प्रबंधित करने और जैव विविधता को सुरक्षित रखने के तरीके तलाशते हैं।

साइंस में आज प्रकाशित हमारी नयी समीक्षा में दुनियाभर से जुटाए सबूतों पर ध्यान केंद्रित किया है ताकि ‘दीर्घायु संरक्षण’ नाम के एक नए दृष्टिकोण के पक्ष में तर्क रखा जा सके।

बूढ़े व बुद्धिमान जानवरों की कम होती संख्या के प्रतिकूल वैश्विक परिणाम हैं। इसलिए उनके अस्तित्व को प्राथमिकता देने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने चाहिए।

लंबी उम्र के फायदे

मछली और सरीसृप जैसे जानवर बेहद शांत स्वभाव के होते हैं, जो अपनी पूरी जिंदगी बढ़ते रहते हैं। इसका मतलब यह है कि बूढे जानवर, नये जानवरों की तुलना में अधिक लंबे होते हैं।

बड़े होने के भी कई फायदे हैं, विशेषरूप से जब भोजन और प्रजनन की बात हो तो।

ऐसा व्यापक तौर पर माना जाता है कि मछलियों और कई अन्य सरीसृप जीवों में उम्र के साथ-साथ उनके वंश की संख्या बढ़ती जाती है। लेकिन हाल ही में यह जानकारी सामने आई है कि कुछ मछलियों और समुद्री कछुओं की बूढ़ी माताएं समय बीतने के साथ-साथ कई गुना ज्यादा संतान पैदा करने लगती हैं।

उनके बच्चों के बचने की संभावना भी बेहतर हो सकती है।

अन्य प्रजातियों में भी बूढ़ी माताओं से पैदा होने वाली संतानों में जीवित रहने की दर ज्यादा हो सकती है। उदाहरण के लिए पक्षियों में बूढ़े माता-पिता और उनके सहायक अक्सर अपने चूजों के लिए ज्यादा भोजन और बेहतर आवास प्रदान करते हैं, जिससे नवजात पक्षियों के बचने की दर में सुधार होता है।

उम्र बढ़ने के साथ-साथ आती है समझदारी

कुछ जानवर बेहतर निर्णय लेने के लिए अपने जीवनकाल में संचित अनुभव का उपयोग करते हैं। हाथियों में, माताएं और दादी ज्ञान का भंडार होती हैं।

इस ‘दादी प्रभाव’ का पहली बार मनुष्यों में अध्ययन किया गया था और यह व्हेल में भी होता है। वे व्हेल, जो प्रजनन नहीं कर पातीं अपने परिवारों को भोजन खोजने में मदद करती हैं खासकर उन परिस्थितियों में जब खाना ढूंढना दुर्लभ होता है। इससे उन्हें जीवित रहने में मदद मिलती है।

प्रजातियों की एक विस्तृत श्रृंखला पर आधारित इस नये शोध में यह बताया गया कि कैसे वृद्ध व्यक्ति सांस्कृतिक संचरण नाम की प्रक्रिया के माध्यम से अपने ज्ञान को दूसरों तक पहुंचाता है। वृद्धावस्था के लाभ प्रवासी पक्षियों, शिकार करने वाले मांसाहारी और यहां तक कि मछलियों जैसे जानवरों तक भी फैले हुए हैं।

बूढ़े जानवरों के न होने से नुकसान की जांच

हमारे शोध का उद्देश्य बूढ़े जानवरों की पारिस्थितिकी और संरक्षण की समझ तैयार करना था। हमने संबंधित सामग्री को ढूंढा और एक समीक्षा तैयार की। इसके अलावा हमने 9,000 से अधिक समीक्षा पत्रों को समझने के लिए एक मशीन लर्निंग विषय मॉडल का उपयोग किया।

अधिकांश शोध में उम्र बढ़ने के नकारात्मक पहलुओं पर प्रकाश डाला गया और ये शोध विशेष रूप से मनुष्यों और कम समय तक जीवित रहने वाली मक्खियों पर आधारित थे। फिर भी सामने आये साक्ष्य ये बताते हैं कि कैसे बूढ़े जंगली जानवर आबादी और पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान करते हैं।

इनमें से कई कार्य लोगों को भी लाभ पहुंचाते हैं लेकिन जैसे-जैसे बूढ़े जानवरों को जंगल से हटा दिया जाता है, वे लाभ खत्म होते जाते हैं। मछली पकड़ने के कारण बूढ़ी मछलियों की बहुतायत में व्यवस्थित गिरावट आई है और शोध में पाया गया कि समुद्री आबादी में इन बूढ़े मछलियों की संख्या 79 से 97 फीसदी तक कम हो गई है।

बूढ़े अफ्रीकी हाथियों और सींग वाले अन्य जानवरों का भी आमतौर पर शिकार किया जाता है फिर चाहे वह कानूनी हो या अवैध।

‘दीर्घायु संरक्षण’ की शुरुआत

बूढ़े जानवर जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

बूढ़े जानवरों की रक्षा करने और जंगली आबादी की आयु संरचना को बनाए रखने या बहाल करने के लिए हम ‘दीर्घायु संरक्षण’ उपायों का प्रस्ताव करते हैं। बूढ़े, बुद्धिमान और बड़े जानवरों द्वारा प्रदान की जाने वाली महत्वपूर्ण पारिस्थितिक भूमिकाओं की रक्षा और उन्हें बचाने के लिए निर्णायक नई नीति और कार्रवाई की आवश्यकता है।

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