देश की खबरें | मानव की वजह से पक्षियों के विलुप्त होने से कार्य विविधता में आई कमी: अध्ययन

नयी दिल्ली, सात अक्टूबर पिछले 1,30,000 वर्षों में मनुष्यों के कारण पक्षी प्रजातियों के विलुप्त होने से पर्यावरण में पक्षियों की कार्यात्मक विविधता में काफी कमी आई है। यह बात एक नए अध्ययन में सामने आई है।

इसमें पाया गया कि इस विलुप्ति के परिणामस्वरूप तीन अरब वर्षों का विशिष्ट विकासवादी इतिहास भी नष्ट हो गया।

ब्रिटेन के बर्मिंघम विश्वविद्यालय के नेतृत्व में अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि प्लीस्टोसीन युग के अंत से लेकर अब तक पक्षियों की कम से कम 600 प्रजातियां, जिनमें ‘डोडो’ और ‘कौआई ओ’ भी शामिल हैं, मनुष्यों के कारण विलुप्त हो चुकी हैं। यह कालखंड 26 लाख वर्ष पूर्व से लेकर 11,700 वर्ष पूर्व तक का है, जब आधुनिक मानव ने पूरे विश्व में फैलना शुरू किया था।

डोडो, कबूतर परिवार से संबंधित एक भारी पक्षी है जो कम उड़ान भरता है और इसका मूल पर्यावास मॉरीशस द्वीप था, जबकि ‘कौआई ओ’ का पर्यावास मूल रूप से हवाई द्वीप कौआई रहा था और इसे 2023 में विलुप्त घोषित किया गया था।

‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में लेखकों ने लिखा है, ‘‘पिछले 1,30,000 वर्षों में ज्ञात पक्षी प्रजातियों में से लगभग पांच प्रतिशत विलुप्त हो चुकी हैं। द्वीपों पर प्रजातियों की, कार्य संबंधी और वर्ग अनुवांशिकी की विविधता क्षति बहुत अधिक है।’’

बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के प्रमुख अनुसंधानकर्ता टॉम मैथ्यूज ने कहा, ‘‘यह अध्ययन वैश्विक संरक्षण रणनीतियों एवं पारिस्थितिकी तंत्र बहाली के लिहाज से प्रभावी लक्ष्य तय करने के लिए महत्वपूर्ण है।’’

उन्होंने कहा कि जब प्रजातियां विलुप्त हो जाती हैं तो पर्यावरण विविधता में उनकी विशेष भूमिका का भी अंत हो जाता है।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)