नयी दिल्ली, तीन नवंबर हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) को लागत बढ़ने के बावजूद पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के दामों में वृद्धि नहीं करने के कारण चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही में 2,172 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा है। तिमाही के अंत में सरकार से मिलने वाले एकमुश्त अनुदान से भी नुकसान की भरपाई नहीं हुई।
एचपीसीएल ने शेयर बाजारों को बताया कि जुलाई-सितंबर तिमाही में उसे एकल आधार 2,172 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में उसे 1,923.51 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था।
यह पहली बार है जब कंपनी को एक के बाद एक तिमाही में नुकसान उठाना पड़ा है। अप्रैल-जून तिमाही में कंपनी को 10,196.94 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड घाटा हुआ था।
एचपीसीएल की तरह ही इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) को भी लगातार दूसरी तिमाही में नुकसान उठाना पड़ा है। सार्वजनिक क्षेत्र की ये कंपनियां मुद्रास्फीति को काबू में करने के सरकार के प्रयासों में मदद देने के लिए पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस को लागत से कम दाम पर बेच रही हैं।
केंद्र सरकार ने 12 अक्टूबर को सार्वजनिक क्षेत्र की तीनों पेट्रोलियम कंपनियों को रसोई गैस एलपीजी के घाटे की भरपाई के लिए 22,000 करोड़ रुपये का एकमुश्त अनुदान दिया था।
एचपीसीएल ने बताया कि 2021-22 और चालू अवधि के दौरान घरेलू रसोई गैस की बिक्री में हुए नुकसान की भरपाई के लिए उसे 5,617 करोड़ रुपये मिले थे।
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को कहा था कि उनका मंत्रालय तीन खुदरा ईंधन विक्रेताओं - इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) को हुए नुकसान के लिए सहायता की मांग करेगा।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में एचपीसीएल को एकल आधार पर कुल मिलाकर 12,369.08 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। इससे पिछले 2021-22 के पूरे वित्त वर्ष में कंपनी को 6,683.14 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था।
कंपनी को समीक्षाधीन अवधि में 1,548.51 करोड़ रुपये का विदेशी मुद्रा घाटा भी हुआ। वहीं जुलाई-सितंबर में उसका एकीकृत शुद्ध घाटा 2,475.69 करोड़ रुपये रहा और अप्रैल-सितंबर में यह 8,557.12 करोड़ रुपये रहा। जुलाई-सितंबर में उसका परिचालन राजस्व भी 30 प्रतिशत बढ़कर 1.13 लाख करोड़ रुपये रहा है।
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