मुंबई, 22 नवंबर: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने मंगलवार को सवाल किया कि छत्रपति शिवाजी महाराज का ‘अपमान’ सहन करने वाली एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार बेलगाम और अन्य सीमावर्ती इलाकों की मराठी भाषी आबादी के लिए न्याय कैसे सुनिश्चित करेगी. कथित धनशोधन मामले में जमानत पर रिहा होने के बाद नयी दिल्ली के पहले दौरे में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने यह भी सवाल किया कि शिंदे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता चंद्रकांत पाटिल कितनी बार कर्नाटक के बेलगाम गए थे. राउत ने कहा कि खबरों के मुताबिक मुख्यमंत्री शिंदे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष बेलगाम का मुद्दा उठाने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच बातचीत सार्वजनिक होनी चाहिए.
राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा, ‘‘मंत्री के रूप में न तो चंद्रकांत पाटिल और न ही एकनाथ शिंदे ने बेलगाम का दौरा किया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री से सीमावर्ती क्षेत्रों में युवाओं के खिलाफ दर्ज झूठे मामलों को वापस लेने के लिए कहा जाना चाहिए. राज्य के गठन के बाद से महाराष्ट्र का कर्नाटक के साथ सीमा विवाद है, जब बेलगाम जैसे मराठी भाषी आबादी वाले कुछ क्षेत्रों को कर्नाटक में शामिल किया गया था.शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के प्रमुख नेता राउत ने आगे सवाल किया कि शिवाजी महाराज का अपमान सहन करने वाली यह सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों को कैसे न्याय दिलाएगी. यह भी पढ़े: Maharashtra: ‘छत्रपति शिवाजी महाराज पुराने आदर्श, अब गडकरी है नए हीरो’, राज्यपाल कोश्यारी के बयान पर मचा बवाल
वह परोक्ष रूप से महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की हालिया विवादास्पद टिप्पणी का जिक्र कर रहे थे कि छत्रपति शिवाजी महाराज ‘‘पुराने दिनों’’ के प्रतीक थे. बेलगाम मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बैठक की। सरकार ने उच्चतम न्यायालय में महाराष्ट्र-कर्नाटक विवाद से संबंधित मुकदमे को संभालने वाली कानूनी टीम के साथ समन्वय करने के लिए मंत्रियों चंद्रकांत पाटिल और शंभूराज देसाई को भी जिम्मेदारी सौंपी है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार ने शीर्ष अदालत में अपना पक्ष रखने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. राउत ने कहा कि कर्नाटक सरकार सीमा विवाद को लेकर अधिक चौकस है.
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