Hindenburg-Adani : उच्चतम न्यायालय की समिति अधिक उपयुक्त और प्रभावी - शरद पवार

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को कहा कि वह अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच के पूरी तरह से खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इस संबंध में उच्चतम न्यायालय की एक समिति अधिक उपयुक्त और प्रभावी होगी। इससे पहले उन्होंने अडाणी को लेकर टिप्पणी की थी जिसके बाद विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की पूरी कवायद को लेकर एक प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है।


मुंबई/नयी दिल्ली, आठ अप्रैल: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को कहा कि वह अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच के पूरी तरह से खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इस संबंध में उच्चतम न्यायालय की एक समिति अधिक उपयुक्त और प्रभावी होगी. इससे पहले उन्होंने अडाणी को लेकर टिप्पणी की थी जिसके बाद विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की पूरी कवायद को लेकर एक प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है. यह भी पढ़ें: Rahul vs Himanta: राहुल गांधी के Word Puzzle पर CM हिमंत सरमा का पलटवार, बोफोर्स और नेशनल हेराल्ड पर पूछा सवाल, कहा- अब कोर्ट में मिलेंगे

वरिष्ठ सहयोगी पार्टी कांग्रेस से अलग रुख अपनाते हुए, पवार ने कहा कि उन्होंने अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय की एक समिति का समर्थन किया. वह मुंबई में पत्रकारों से बात कर रहे थे. पवार ने शुक्रवार को ‘एनडीटीवी’ को दिए साक्षात्कार में अडाणी समूह का बचाव किया था और हिंडनबर्ग रिसर्च को लेकर कहा कि भारतीय कारोबारी समूह को निशाना बनाया गया है.

अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च ने अरबपति गौतम अडाणी के कारोबारी समूह के शेयर और लेखांकन में बड़े पैमाने पर हेराफेरी का आरोप लगाया था, जिसके बाद कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल केंद्र सरकार पर हमलावर हैं. अडाणी समूह ने इन आरोपों का खंडन किया है.

कांग्रेस ने अडाणी मामले में राकांपा के प्रमुख पवार के बयान की पृष्ठभूमि में शनिवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति का जांच का दायरा बहुत सीमित है तथा जेपीसी से ही सच सामने आ सकता है. पवार ने यह भी कहा कि उन्हें अमेरिका स्थित ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ के पिछले इतिहास की जानकारी नहीं है, जिसने गौतम अडाणी की कंपनियों में शेयर और लेखांकन में हेरफेर तथा धोखाधड़ी का आरोप लगाया है.

पवार ने पत्रकारों से कहा, ‘‘एक विदेशी कंपनी भारत की स्थिति के बारे में अपना रुख बताती है. हमें तय करना चाहिए कि इस पर कितना ध्यान दिया जाना चाहिए. इसके (जेपीसी) बजाय, उच्चतम न्यायालय की एक समिति अधिक प्रभावी है.’’ पवार ने कहा, ‘‘मैं पूरी तरह से जेपीसी के खिलाफ नहीं हूं ... कई बार जेपीसी गठित हुई है और मैं कुछ जेपीसी का अध्यक्ष रहा हूं। जेपीसी का गठन (संसद में) बहुमत के आधार पर किया जाएगा. जेपीसी के बजाय, मेरा विचार है कि उच्चतम न्यायालय की समिति अधिक उपयुक्त और प्रभावी होगी.’’

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय की समिति का दायरा बहुत सीमित हैं। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अडाणी के बीच के अंतर्निहित रिश्ते को सामने नहीं ला सकती। सिर्फ जेपीसी से ही ‘हम अडाणी के हैं कौन’ श्रृंखला के 100 प्रश्नों एवं लगातार उठ रहे नए सवालों के जवाब मिल सकते हैं. वर्ष 1992 और 2001 में जेपीसी का गठन सही साबित हुआ था.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि सच्चाई छिपाई जा रही है, इसलिए रोजाना ध्यान भटकाया जा रहा है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘सच्चाई छुपाते हैं, इसलिए रोज़ भटकाते हैं! सवाल वही है - अडाणी की कंपनियों में 20,000 करोड़ रुपये की बेनामी रकम किसकी है?’’ कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि उनकी पार्टी अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की जेपीसी से जांच कराने की अपनी मांग पर अडिग है.

उन्होंने पूछा, ‘‘सवाल यह है कि क्या जनता का पैसा सुरक्षित है? प्रधानमंत्री मोदी अडाणी घोटाले पर बात क्यों नहीं कर रहे जबकि यह इतना बड़ा और गंभीर मुद्दा है? अगर कुछ गलत नहीं है तो घबराने की क्या वजह है?’’ कांग्रेस और राकांपा के बीच मतभेद ऐसे समय में सामने आए हैं जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हाल के दिनों में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं.

इस बीच शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने शनिवार को कहा कि अडाणी समूह के विरुद्ध आरोपों की जांच के लिए जेपीसी के गठन का राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार द्वारा समर्थन न किये जाने से विपक्षी एकता में कोई दरार नहीं आयेगी, शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने संवाददाताओं से कहा कि पवार ने कोई ‘क्लीनचिट’ नहीं दी है, बल्कि इस बात पर अपनी राय प्रकट की है कि जांच कैसे की जाए.

राउत ने कहा कि विपक्ष जेपीसी जांच की अपनी मांग पर अडिग है. उन्होंने कहा, ‘‘चाहे (पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री) ममता बनर्जी हों या राकांपा, अडाणी के बारे में उनके बीच भिन्न-भिन्न राय हो सकती है, लेकिन उससे महाराष्ट्र या देश में (विपक्षी) एकता में दरार नहीं आयेगी.’’

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए उनसे अडाणी मुद्दे पर राकांपा प्रमुख पवार की बातों पर ध्यान देने को कहा है.

शुक्रवार रात को कल्याण में एक कार्यक्रम के बाद शिंदे ने कहा, ‘‘कांग्रेस ने अडाणी समूह में 20,000 करोड़ रुपये को लेकर स्पष्टीकरण की मांग करते हुए आंदोलन शुरू किया है.

यहां तक उद्धव ठाकरे ने भी लगातार इस मुद्दे पर बयान दिया है. अब पवार ने टिप्पणी की है, ऐसे में जो लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें उनकी टिप्पणी पर ध्यान देना चाहिए.’’ इस बीच राकांपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा, ‘‘कल मैंने साक्षात्कार देखा जहां शरद पवार साहब ने अडाणी पर टिप्पणी की. (शरद) पवार साहब हमारे सर्वोच्च नेता हैं. उन्होंने इस विषय पर अपना रुख सामने रखा है और हम अपने नेता के विचारों का समर्थन करते हैं.’’

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