नागपुर, 19 मई बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह प्रवासियों, दैनिक मजदूरों और अन्य फंसे लोगों को उनके गृह राज्यों तक राज्य परिवहन निगम की बसों से पहुंचाने की संभावनाओं पर विचार करें, न कि उन्हें केवल राज्य की सीमा तक छोड़े।
उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. बी. देव ने स्वत: संज्ञान लेते हुए एक याचिका पर सुनवाई की, जिसमें कोविड-19 महामारी के कारण जारी लॉकडाउन के बीच प्रवासियों और दैनिक मजदूरों की दिक्कतों पर चिंता जताई गई।
अदालत की सहायता के लिए नियुक्त वकील देवेन चौहान ने मंगलवार को उच्च न्यायालय को सूचित किया कि इसके आदेश के बाद महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) ने विभिन्न स्थानों से प्रवासियों को राज्य की सीमाओं तक ले जाने के लिए बसों का इंतजाम किया है।
चौहान ने उच्च न्यायालय से कहा कि राज्य परिवहन की बसों से सीमाओं तक छोड़े जाने के बाद निराश श्रमिक अपने गृह राज्यों तक जाने के लिए ट्रकों और टेंपो में यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे बचने के लिए एमएसआरटीसी इन बसों को उन राज्यों तक सीधे चलाने पर विचार कर सकता है।
सरकार के वकील एस वाई देवपुजारी ने अदालत से कहा कि इसमें संबंधित राज्य सरकारों को भी शामिल करना होगा।
अदालत ने कहा, ‘‘यह अदालत उम्मीद करती है कि राज्य सरकार इस सुझाव पर जल्द से जल्द विचार करेगी।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, लेटेस्टली स्टाफ ने इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया है)