मुंबई, दो मार्च बम्बई उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में आरोपी कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत याचिका खारिज करने संबंधी विशेष अदालत के एक ‘‘अतार्किक’’ आदेश को रद्द कर दिया और विशेष न्यायाधीश को उनकी जमानत याचिका पर फिर से सुनवाई करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति ए. एस. गडकरी और न्यायमूर्ति पी. डी. नाइक की खंडपीठ ने कहा कि विशेष अदालत के आदेश में अभियोजन पक्ष द्वारा दिये गये सबूतों का विश्लेषण शामिल नहीं था।
खंडपीठ ने विशेष न्यायाधीश को चार सप्ताह के भीतर सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया।
सामाजिक कार्यकर्ता नवलखा (70) ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अधिनियम के तहत जमानत देने से इनकार करने संबंधी पांच सितंबर, 2022 के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था।
उच्च न्यायालय ने इस सप्ताह नवलखा के वकील युग चौधरी की ओर से पेश दलीलों को संक्षेप में सुना और कहा कि विशेष अदालत का आदेश ‘‘अतार्किक’’ था।
पीठ ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘निचली अदालत ने जमानत नामंजूर करते हुए गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 43डी(5) के तहत आवश्यक कारण नहीं बताया।’’
उच्च न्यायालय ने कहा कि जमानत याचिका पर विशेष अदालत द्वारा नये सिरे से सुनवाई की आवश्यकता है।
अदालत ने कहा, ‘‘विशेष न्यायाधीश से अनुरोध है कि वह पांच सितंबर 2022 के आदेश और आज के इस आदेश से प्रभावित हुए बिना चार सप्ताह के भीतर सुनवाई पूरी करें।’’
गौरतलब है कि नवलखा को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन शुरुआत में उन्हें घर में नजरबंद रखा गया था।
बाद में उन्हें उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद अप्रैल 2020 में मुंबई के निकट तलोजा केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया।
उच्चतम न्यायालय ने नवलखा को उनके लगातार खराब हो रहे स्वास्थ्य के मद्देनजर राहत प्रदान करते हुए घर में नजरबंद रखने के उनके अनुरोध को पिछले साल 10 नवंबर को सशर्त मंजूरी दे दी थी।
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