उच्च न्यायालय ने व्यक्ति को अफगानिस्तान जाने की अनुमति देने से इनकार किया

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीमा शुल्क संबंधी मामले का सामना कर रहे एक अफगान नागरिक को अपने परिवार की देखभाल के लिए अफगानिस्तान जाने की अनुमति देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उसके देश में मौजूदा परिस्थितियों के चलते उसके वापस आने की संभावना बहुत कम है।

अफगानिस्तान (Photo Credits: File Photo)

नयी दिल्ली,9 सितंबर: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने सीमा शुल्क संबंधी मामले का सामना कर रहे एक अफगान नागरिक को अपने परिवार की देखभाल के लिए अफगानिस्तान जाने की अनुमति देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उसके देश में मौजूदा परिस्थितियों के चलते उसके वापस आने की संभावना बहुत कम है.अदालत ने कहा कि व्यक्ति का पासपोर्ट जारी करने और उसपर लगाया गया 13 लाख रुपये का जुर्माना जमा किए बिना उसे भारत छोड़ने की अनुमति देने का कोई आधार नहीं है. यह भी पढ़े: अदालत ने महबूबा मुफ्ती की याचिका पर अंतिम सुनवाई के लिए तारीख तय की

इस व्यक्ति को अफगानिस्तान (afghanistan) के लिए उड़ान भरने से पहले कुछ दवाएं अवैध रूप से ले जाते हुए हवाई अड्डे से पकड़ा गया था. इसके बाद उसके खिलाफ कार्यवाही शुरू की गई थी. उसपर जब्त सामान की कीमत के अनुरूप अपराध से मुक्ति पाने संबंधी नौ लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था. अतिरिक्त आयुक्त (सीमा शुल्क) ने उसपर 13 लाख रुपये का व्यक्तिगत जुर्माना भी लगाया था.याचिकाकर्ता ने जुर्माने का भुगतान नहीं किया है और इस आधार पर अफगानिस्तान जाना चाहता है कि उसके 11 बच्चे हैं तथा उसकी पहली पत्नी को आतंकवादियों ने मार डाला है और उसे अपने परिवार की देखभाल करनी है.न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने उसकी याचिका को खारिज करते हुए कहा, "तथ्यों और विशेष रूप से इस तथ्य के मद्देनजर कि अफगानिस्तान में मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए याचिकाकर्ता के भारत वापस आने की बहुत कम संभावना है, इस अदालत को याचिकाकर्ता का पासपोर्ट जारी करने और उसे 13 लाख रुपये का जुर्माना जमा किए बिना देश छोड़ने की अनुमति देने का कोई आधार नहीं मिलता है.शुरू में, इस व्यक्ति ने मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत से संपर्क किया था जिसने उसे कुछ शर्तों के साथ एक फरवरी 2021 को अफगानिस्तान जाने की अनुमति दी थी. उसने इस निर्णय को सत्र अदालत में चुनौती दी थी.

उसकी पुनरीक्षण याचिका जून में खारिज कर दी गई थी जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.इस व्यक्ति के वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल अपराध से मुक्ति पाने संबंधी नौ लाख रुपये का जुर्माना और 13 लाख रुपये का व्यक्तिगत जुर्माना जमा करने की स्थिति में नहीं है, इसलिए उसे राशि का 20 प्रतिशत जमा करने की अनुमति देकर अफगानिस्तान जाने दिया जाए.वकील ने कहा कि चूंकि व्यक्ति संबंधित सामान वापस लेने का इच्छुक नहीं है, इसलिए अपराध से मुक्ति पाने संबंधी जुर्माना जमा करने की आवश्यकता नहीं है और उसे केवल व्यक्तिगत जुर्माना देना होगा.अदालत के इस सवाल पर कि क्या व्यक्ति ने अपील में अतिरिक्त आयुक्त (सीमा शुल्क) के आदेश को चुनौती दी है, वकील ने ‘न’ में जवाब दिया.उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि आदेश को चुनौती देने के लिए कोई अपील दायर नहीं की गई है तो यह अंतिम रूप ले चुका है और व्यक्ति, जो अवैध रूप से दवाएं ले जाते हुए पाया गया, को 13 लाख रुपये का व्यक्तिगत जुर्माना जमा करने की आवश्यकता है.अदालत ने कहा कि यह देखते हुए कि निर्णय संबंधी कार्यवाही ने अंतिम रूप ले लिया है और याचिकाकर्ता चीजों को वापस नहीं लेना चाहता है, उसे जुर्माना राशि जमा करने की आवश्यकता है.  इसने कहा कि इसलिए इस अदालत को निर्णय में कोई त्रुटि नजर नहीं आती है और याचिका खारिज की जाती है.

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\